यूपी में 28 जिलों में कोविड किट की खरीद में बड़ा गोलमाल! फर्रुखाबाद सबसे आगे

FARRUKHABAD NEWS LUCKNOW जिला प्रशासन

लखनऊ: कोरोना पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य से यूपी की ग्राम पंचायतों में पल्स ऑक्सीमीटर और इंफ्रारेड थर्मामीटर की खरीद में हुए घपले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) को 28 जिलों में भारी अनियमितताएं मिली हैं। सबसे ज्यादा गड़बड़ी फर्रुखाबाद जिले में हुई, जहां इन उपकरणों को तीन अलग-अलग रेट पर खरीदा गया। राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में गठित एसआइटी ने अपनी जांच रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंप दी है। रिपोर्ट में उजागर किये गए तथ्यों के आधार पर एसआइटी ने दोषियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
एसआइटी ने अपनी जांच में चिकित्सीय उपकरणों की खरीद में 28 जिलों में गड़बड़ियां पायी हैं। पल्स ऑक्सीमीटर और इंफ्रारेड थर्मामीटर की खरीद ग्राम पंचायत के स्तर पर करने के निर्देश दिये गए थे। इसके विपरीत इन जिलों में केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत खरीद हुई। विभिन्न जिलों में जिन रेट पर यह उपकरण खरीदे गए हैं, उनमें भी काफी अंतर है। इन 28 जिलों में गाजीपुर, मीरजापुर, सोनभद्र, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, सुलतानपुर, झांसी, कौशांबी, चित्रकूट व अन्य शामिल हैं। फर्रुखाबाद में गड़बड़ी का आलम यह था कि इन उपकरणों को तीन अलग-अलग दरों पर कहीं 1500, कहीं 2500 और कहीं 11,000 रुपये में खरीदा गया। एसआइटी ने जांच में यह भी पाया कि ज्यादातर जिलों में इन उपकरणों की खरीद 2500 से 6000 रुपये के बीच हुई।
एसआइटी ने जांच के लिए ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों को राजधानी स्थित राजस्व विभाग के कंट्रोल रूम से फोन कॉल किये गए थे। पूछताछ के आधार पर एसआइटी को बताया गया कि 23 जून को पंचायती राज विभाग ने उपकरणों की खरीद के बारे में जारी आदेश में कहा था कि स्वास्थ्य विभाग की टीम पांच से 15 जुलाई के बीच जिलों में सर्वे करेगी कि पल्स ऑक्सीमीटर और इंफ्रारेड थर्मामीटर खरीदे गए या नहीं। इसके बाद तेजी से खरीदारी हुई, जिसमें अनियमितताएं हुईं। इन उपकरणों की खरीद में हड़बड़ी का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि तमाम बिल में जीएसटी नंबर तक नहीं दर्ज है।
बता दें कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में पल्स ऑक्सीमीटर, इंफ्रारेड थर्मामीटर और सैनिटाइजर का एक सेट खरीदने के आदेश दिये गए थे। सुलतानपुर, गाजीपुर समेत कुछ अन्य जिलों की कई ग्राम पंचायतों में बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर इन उपकरणों को खरीदने की शिकायतें शासन को मिली थीं। शासन ने सुलतानपुर और गाजीपुर के जिला पंचायत राज अधिकारी और सोनभद्र के प्रभारी डीपीआरओ को निलंबित भी किया था।
इन चिकित्सीय उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बीती 10 सितंबर को अपर मुख्य सचिव राजस्व की अध्यक्षता में एसआइटी गठित की गई थी, जिसके सदस्य सचिव चिकित्सा शिक्षा अमित गुप्ता और सचिव नगर विकास व एमडी जल निगम विकास गोठलवाल बनाये गए थे।