लखनऊ: अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में इलाहाबाद हाई कोर्ट से दो महीने की बेल मिलने के बाद भी राहत नहीं मिलने वाली है। गायत्री के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म मामले की पैरवी करने वाले अधिवक्ता दिनेश चंद्र त्रिपाठी ने गाजीपुर थाने में पूर्व मंत्री समेत तीन के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज कराई है। उधर, राम सिंह मामले की विवेचना में लापरवाही बरतने पर इंस्पेक्टर गौतमपल्ली सत्यप्रकाश सिंह और क्राइम ब्रांच में तैनात इंस्पेक्टर अजीत सिंह को लखनऊ पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे ने निलंबित कर दिया है।
हाल में ही पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर दर्ज दुष्कर्म के मामले में गवाह हमीरपुर मियांपुर राठ निवासी राम सिंह को क्राइम ब्रांच में तैनात इंस्पेक्टर अजीत सिंह ने गिरफ्तार किया था। राम सिंह को गौतमपल्ली थाने में दाखिल कर जेल भेज दिया गया था। इस प्रकरण की जानकारी विवेचक और इंस्पेक्टर गौतमपल्ली सत्य प्रकाश ने उच्चाधिकारियों को नहीं दी थी। बिना वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दिए चुपके से विवेचना करने और राम सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजने के आरोप में पुलिस आयुक्त ने दोनों इंस्पेक्टर को निलंबित कर विभागीय जांच के निर्देश दिए हैं।
वहीं, अधिवक्ता दिनेश चंद्र त्रिपाठी के मुताबिक वर्ष 2017 में उन्होंने पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य के खिलाफ चित्रकूट निवासी महिला की तहरीर पर दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इस मामले की वह पैरवी कर रहे थे। फरवरी 2019 में दुष्कर्म की एफआइआइ दर्ज कराने वाली महिला ने उनसे गायत्री व अन्य आरोपितों के पक्ष में शपथ पत्र लगाने की बात कही थी। अधिवक्ता ने जब इसका विरोध किया तो वह नाराज हो गई और धमकी देने लगी थी। अधिवक्ता का आरोप है कि महिला ने उन पर दुष्कर्म की एफआइआर दर्ज कराने की धमकी दी थी।
यही नहीं महिला ने 26 मार्च 2019 को फर्जी आरोप लगाकर मामले की पैरवी के लिए दूसरे अधिवक्ताओं को नियुक्त कर लिया था। अधिवक्ता जब भी महिला से मिलने जाते थे तब वहां गायत्री प्रसाद प्रजापति के लोग मौजूद रहते थे। अधिवक्ता का आरोप है कि दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराने वाली महिला गायत्री प्रसाद प्रजापति से मेडिकल कॉलेज में मिलने जाती थी। महिला ने मुकदमे को समाप्त करने के लिए पूर्व मंत्री से मोटी रकम लेने के अलावा दो प्लाट और दो मकान भी फर्जी और कूट रचित दस्तावेज तैयार कर लिए थे।
अधिवक्ता ने जब महिला से इनकम टैक्स भरने के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह सिर्फ सात लाख रुपये जमा करती है। उसने अधिवक्ता से टैक्स से संबंधित सारा काम ठीक कर देने को कहा। अधिवक्ता के इनकार करने पर महिला नाराज हो गई और जून 2019 में उसने चित्रकूट में उन पर फर्जी एफआइआर दर्ज करा दी। छानबीन के दौरान पुलिस ने उस एफआइआर में अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी। इसके बावजूद महिला ने फर्जीवाड़ा करते हुए अधिवक्ता पर गौतमपल्ली थाने में 27 दिसंबर 2019 को एफआइआर दर्ज करा दी।
आरोप है कि इसके पीछे पूर्व मंत्री ने महिला से सांठगांठ किया था। महिला ने अपनी बेटी को भी पूर्व मंत्री के पक्ष में बयान देने के लिए मना लिया था। इसके लिए गायत्री ने सेक्टर के आशियाना स्थित एक मकान भी उसे रजिस्ट्री की थी। अधिवक्ता को फसाने के लिए आरोपितों ने मिलकर नामजद आरोपित अशोक तिवारी के बेटे अभिषेक तिवारी को ही गवाह बना दिया। यही नहीं अधिवक्ता के खिलाफ दर्ज मुकदमे में आरोपित अरुण कुमार द्विवेदी उर्फ रामू द्विवेदी को भी गवाह बना कर हस्ताक्षर करा लिए गए।
जेल के अंदर से फोन पर पूर्व मंत्री से कराई थी बात: अधिवक्ता का आरोप है कि पूर्व मंत्री पर एफआइआर दर्ज कराने वाली महिला ने जेल के अंदर से उनकी बातचीत फोन पर गायत्री से कराई थी। इस दौरान गायत्री प्रसाद प्रजापति ने अधिवक्ता को शांत रहने के लिए कहा था और रुपयों का लालच दिया था। यही नहीं पूर्व मंत्री ने अधिवक्ता को शांत ना रहने पर उनकी हत्या कराने की धमकी भी दी थी। अधिवक्ता ने महिला पर भी धमकाने और पूर्व मंत्री के जेल से छूटने पर हत्या कराने की धमकी देने का आरोप लगाया है।
जमानत पर छूटने के बाद पीछा कर रहे पूर्व मंत्री के लोग: अधिवक्ता का आरोप है कि जब से पूर्व मंत्री की जमानत हुई है तब से अज्ञात लोग उनका पीछा कर रहे हैं। यही नहीं उन्हें जान से मारने और फर्जी मुकदमे में फंसा कर जेल भिजवाने की धमकी दी जा रही है। परेशान होकर अधिवक्ता ने गाजीपुर थाने में तहरीर देकर पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उन पर दुष्कर्म की एफआइआर दर्ज कराने वाली चित्रकूट निवासी महिला व उसकी बेटी पर एफआइआर दर्ज कर कार्यवाही की मांग की है। अधिवक्ता ने पुलिस से सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग भी की है। पुलिस आयुक्त सुजीत पांडे के मुताबिक तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। पूरे प्रकरण की गंभीरता से पड़ताल के निर्देश दिए गए हैं।