नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ी राहत दी है। देश की शीर्ष अदालत ने शिक्षामित्रों की याचिका को खारिज कर 69000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में शिक्षामित्रों की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया। इस पर कोर्ट ने जवाब मांगा है। अब मामले में 14 जुलाई को फिर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस शान्तनु गौडार और जस्टिस विनीत शरण की बेंच ने शिक्षा मित्रों की भर्ती पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार व अन्य पक्षकारों को एक नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि 45 फीसद सामान्य और आरक्षित के लिए 40 फीसदी के आधार को क्यों बदला। मामले की सुनवाई अब 14 जुलाई को होगी। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि जो शिक्षा मित्र, सहायक शिक्षक के तौर पर कार्यरत हैं उनको छोड़ा न जाए।
इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का नाम बार-बार पुकारा लेकिन वो सामने नहीं आए, जिसके बाद कोर्ट ने राजीव धवन से अपना पक्ष रखने को कहा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बाद में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। जिसके बाद अब तक की सुनवाई में क्या-क्या हुआ है और सबकी दलील का सार बताया गया।
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि मेरिट के नाम पर भारांक और अन्य नियम क्यों बदले। जिस पर तुषार मेहता ने कहा कि वो कल इस बारे में सरकार से इन्स्ट्रक्शन लेकर बताएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार फिर हम सभी याचिकाओं पर नोटिस जारी कर रहे हैं। हम ये भी देखेंगे कि नियुक्ति प्रक्रिया के नियम परीक्षा से पहले या बाद में बदलना कितना सही या गलत है।
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि रिजल्ट रिकलकुलेट और रिकम्प्यूटेड हो 40-45% के आधार पर। पहली परीक्षा किसी और आधार पर और दूसरी किसी और आधार पर क्यों। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि ये लोग प्रतिभाशाली उम्मीदवारों पर कम प्रतिभा वालों का कब्जा चाहते हैं। एसजी तुषार मेहता और बेसिक शिक्षा बोर्ड के वकील राकेश मिश्रा को इस प्रकरण में कुछ भी दलील देने की जरूरत ही नहीं पड़ी। उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती पासिंग मार्क के प्रकरण पर बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय के कोर्ट नंबर पांच में सुनवाई हुई। जस्टिस आर भानुमती व जस्टिस इन्दु मल्होत्रा व जस्टिस अनिरुद्व बोस ने आज इस मामले में अपना फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के शिक्षामित्रों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही 69 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शिक्षामित्रों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही 69 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। याचिकाकर्ताओं की दलील सुनकर ही जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस शान्तनुगौडार और जस्टिस विनीत शरण की बेंच ने याचिका खारिज की। शिक्षामित्रों की ओर दलील रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि सिंगल जज बेंच ने हमारे दावे के समर्थन में निर्णय दिया था, लेकिन डिविजन ने हमारा पक्ष पूरी तरह नहीं सुना। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मसला हमारे कॉन्ट्रैक्ट के रिन्युअल को लेकर भी है और नियुक्ति की प्रक्रिया में लगातार किए गए बदलाव पर भी। इस पर जस्टिल ललित ने पूछा कि कितने शिक्षामित्र नियुक्त हुए थे। जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 30 हजार, फिर सरकार ने शिक्षामित्रों की बजाय 69000 प्राथमिक शिक्षकों की नई भर्ती निकाली।
शिक्षामित्रों की ओर से दलील देते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि परीक्षा के बाद नया कटऑफ भी तय किया। इस पर जस्टिस ललित ने पूछा- कटऑफ विज्ञापन का हिस्सा था। इस पर रोहतगी ने कहा कि नहीं, सात जनवरी 2019 को परीक्षा होने के बाद न्यूनतम कटऑफ तय किया। 60-65 प्रतिशत शिक्षकों के लिए जबकि शिक्षा मित्र के लिए ये 40-45 फीसदी था।जस्टिस ललित ने कहा कि यानी आपके दो सुझाव हैं कि बीएड कभी भी अर्हता नहीं थी और परीक्षा के बाद कटऑफ तय करना गलत। इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि शिक्षामित्रों को बहुत कम वेतन मिल रहा है। फिर जस्टिस ललित ने कहा कि यानी आप चाहते हैं कि 45 फीसदी सामान्य के लिए और 40 फीसदी आरक्षित वर्ग के लिए किया जाए। मुकुल रोहतगी ने कहा कि जी, इससे कई लोगों को मौका मिलेगा। इसके बाद याचिका खारिज कर दी गई। अब प्रदेश में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में कोई भी रोड़ा नहीं है।