फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) कोरोना की वजह से पूरे देश मे दूसरे चरण का लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन की वजह से प्रतिदिन कमाने-खाने वाले परिवारों के दरवाजे पर खाद्य संकट ने दस्तक दे दी है। हालाकि अभी मुफ्त मे सरकारी राशन और समाजसेवियों की सहायता से दो वक्त का भोजन किसी तरह इन्हें नसीब हो रहा है। लेकिन घूम-घूम कर अपना पेट भरने वाले बेजुबान जानवर भी दाने के लिए तरसने लगे हैं। इन बेजुबान जानवरों को खाना खिलाने के लिए जैन समाज के एक युवक नें पहल की है। जिससे वह प्रतिदिन बंदरों को भोजन करा रहा है|
पशु-पक्षी, कीट-पतंग भी पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं। इनके बिना मानव जाति का अस्तित्व भी खतरे मे पड़ सकता है। कोरोना की वजह से हमारे आसपास जीपन-यापन करने वाले कुछ जनवारों के लिए पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है। जैसे सड़कों के आवारा कुत्ते, गाय, बैल, बंदर आदि भी भूखे रहने को मजबूर हैं। लॉकडाउन की वजह से बाज़ार-हाट बंद है। लोगों को घरों से निकालने की मनाही है। ऐसी स्थिति में सड़कों पर घुमने वाले जानवरों के अलावा नगर मे रहने वाले बंदरो के सामने भी भूख एक बड़ी समस्या बन गई है।
नगर के गुरुगाँव देवी मंदिर में बड़ी संख्या में बन्दर है| लॉक डाउन से पूर्व उन्हें मंदिर जाने वाले भक्तों व यात्रियो से खाने के लिए काफी कुछ मिलता था। लॉकडाउन की वजह से आवाजाही पूरी तरह से ठप होने की वजह से इन बंदरो के सामने भी खाने के लाले हैं। जैन समाज से सरोकार रखने वाले राहुल जैन बीते 7 दिन से लगातार गुरुगाँव देवी मंदिर जाकर बंदरों को भरपेट भोजन करा रहे है| इसके अलावा अन्य जानवरों को भी खाना खिलाने का काम चल रहा है। रोजाना अपनी गाड़ी में भोजन लेकर वे निकल पड़ते हैं। और बंदरों को केला, ब्रेड, चना आदि खिलाते है|
लॉकडाउन कि इस परिस्थिति मे हमारे आस-पास रहने वाले जानवर कुत्ता, गाय, बैल, कौआ, गोरैया, आदि पशु-पक्षियों को भी भोजन देने कि जरूरत है। घरों से निकलने वाले सब्जी के कतरन, रात का बचा भोजन इन बेजुबान जानवरों के लिए घर के बाहर एक बर्तन मे रख देने भर की जरूरत है।