अस्पताल ‘जुगाड़’ से दे रहे बीमारियों को दावत!

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फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) नगर के निजी अस्पताल केबल अपने अस्पताल के भीतर की मानक नही तोड़ रहे बाहर भी नियमों को कूड़े के ढेर में फेक कर लोगों को बीमार कर रहे है| लेकिन स्वास्थ्य विभाग केबल आंकड़ो और कागजी कार्यवाही पर ही भरोसा कर रहा है| निजी अस्पताल संचालक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक दरकिनार कर मेडिकल कचरा खुले आम फेंक रहे हैं।
नगर के आवास विकास, मसेनी चौराहा आदि पर स्थित निजी अस्पताल अस्पताल का मेडिकल बेस्ट कचरा उठाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से अस्पतालों के मेडिकल कचरे को अलग अलग श्रेणियों मे बांटा गया है। इसके लिए अस्पतालों को पीले, हरे व लाल रंग के कूड़ादान बना कर चिकित्सीय कचरा एकत्र करने के निर्देश दिए गए है। कूड़ा ट्रालियों में फेंका जा रहा दूषित चिकित्सीय कचरा लोगों में संक्रामक बीमारियों का खतरा बन रहा है। कूड़े के ढेर में खून से सने सीरज, इंजेक्शन तथा प्रदूषित गाज पट्टी को मवेशी सड़क तक फैला रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि पास के निजीअस्पतालों की ओर से खुले आम जानलेवा कचरा फेंका जा रहा है।
निजी,अमानक और अपंजीकृत अस्पतालों की जाँच को लेकर टीम बनी है| जो इन अस्पतालों की जाँच कर रही है| लेकिन यह भी जाँच का विषय है की मेडिकल बेस्ट कचरा कहा फेंका जा रहा है| जेएनआई ने जब इसका जायजा लिया तो पता चला की अधिकतर अस्पतालों में एक जुगाड़ गाड़ी आकर कबाड़े की जुगाड़ में घातक मेडिकल बेस्ट कूड़ा खुलेआम पलट कर ले जाया जाता और उसमे से प्लास्टिक आदि निकाल कर बेकार कूड़े के ढेर में फेंक देते है| और विभाग इसे मानक में समझ रहा है|
कूड़ा फेंकने का क्या है नियम
जिले में बिल बर्ड कम्पनी को कूड़ा लेकर जाने की व्यवस्था की गयी है| जो कूड़ा निजी और अन्य अस्पताओं को कूड़ा लेकर कानपुर में ले जाकर नष्ट करे| लेकिन यह भी पूरी तरह से ईमानदारी से नही हो रहा है| अस्पताल संचालक मेडिकल बेस्ट को कबाड़ी को चंद पैसे में बेंच रहे है| 
1-
हॉस्पिटल मैनेजमेंट को हॉस्पिटल से निकलने वाला वेस्ट तीन हिस्सों में बांटना होता है।
2- ब्लड, मानव अंग जैसी चीजों को रेड डिब्बे में डालना होता है।
3- कॉटन, सिरिंज, दवाइयों को पीले डिब्बे में डाला जाता है।
4- मरीजों के खाने की बची चीजों को ग्रीन डिब्बे में डाला जाता है।
5- इन डिब्बों में लगी पॉलिथीन के आधे भरने के बाद इसे पैक करके अलग रख दिया जाता है।
देखें कितने है अस्पताल
जनपद में कुल 113 नर्सिंगहोम/अस्ताल, 33 क्लीनिक व 14 पैथोलाजी पंजीकृत है|  जिनमे बायो मेडिकल वेस्ट मैनजमेंट का नियम से पालन करना होता है| लेकिन यह केबल कागजों में ही चल रहा है|
जनपद में प्रतिदिन कितना निकलता है मेडिकल कचरा
जनपद में सभी अस्पतालों, क्लीनिक और पैथोलाजी से प्रतिदिन सरकारी अस्पतालों से 110 किलो, निजी अस्पतालों से लगभग 150 किलों बायो मेडिकल बेस्ट निकलता है| जिसको नियमानुसार नष्ट करना होता है|
क्या कहते है जिम्मेदार
बायो मेडिकल वेस्ट के नोडल अधिकारी उपमुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० राजीव शाक्य
का कहना है कि यदि कोई अस्पताल नियम का उलंघन करता पाया जायेगा तो उसके खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा कड़ी कार्यवाही करायी जायेगी|
मुख्य चिकित्सक अधिकारी डॉ० चन्द्र शेखर का कहना है कि यदि मेडिकल बेस्ट कचरा लापरवाही से फेंका गया तो उस अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्यवाही अमल में लायी जायेगी|