लखनऊ: हिंदू समाज पार्टी के पूर्व अध्यक्ष कमलेश तिवारी की पत्नी किरण तिवारी को पार्टी का नया अध्यक्ष घोषित किया गया है। हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राजेश मणि त्रिपाठी ने बताया कि कमलेश त्रिपाठी की पत्नी किरण क कमलेश तिवारी को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाया गया है। उन्हाेंंने बताया कि शनिवार को किरण तिवारी पार्टी का कार्यभार ग्रहण करेंगी। कमलेश तिवारी की हत्या 18 अक्टूबर को लखनऊ के नाका इलाके में कर दी गई थी।
पति की हत्या के बाद किरण तिवारी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और हत्यारों के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदू संगठन के नेता कमलेश तिवारी की पत्नी को 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए थे।कमलेश तिवारी लखनऊ स्थित अपने कार्यालय में थे इसी दौरान उनसे मिलने का बहाना बनाकर अशफाक और मोइनुद्दीन कमलेश तिवारी के घर पहुंचे और बेरहमी से उनकी हत्या कर दी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि तिवारी को 15 बार चाकू मारा गया था और उसके बाद चेहरे पर गोली मारी गई थी।
कमलेश तिवारी हत्याकांड में धीरे-धीरे पर्तें खुलने लगी हैं। बरेली से पकड़ा गया वकील मु. नावेद दोनों हत्यारोपितों को हल्की धाराओं में जेल भिजवाने की तैयारी में था। नावेद के कहने पर लखीमपुर निवासी रईस व आसिफ ने हत्यारोपित अशफाक और मोईनुद्दीन को मोबाइल व रुपये उपलब्ध कराये थे। पुलिस ने शुक्रवार को हत्यारोपितों से नावेद का सामना कराया।हत्यारोपितों को हल्की धाराओं में जेल भिजवाना चाहता था वकील नावेद
नावेद और लखीमपुर निवासी दोनों युवकों रईस और आसिफ की भूमिका हत्यारोपितों के मददगार के रूप में सामने आई है। नावेद दोनों हत्यारोपितों को किसी दूसरे मामले में जेल भिजवाने की तैयारी में था। तमंचा या नशीले पदार्थ रखने की कमजोर धाराओं में जेल भिजवा देता तो वे लखनऊ पुलिस या एटीएस के हाथ आने से बच जाते। सारी योजना बनाने के बदले पांच लाख रुपये में सौदा तय हुआ था। वकील नावेद को साक्ष्य छिपाने का भी आरोपित बनाया गया है। नावेद ने हत्यारोपितों के नेपाल से वापस आने में भी अहम भूमिका निभाई थी। नावेद के कहने पर ही लखीमपुर में रईस व आसिफ ने हत्यारोपितों की मदद की थी। एटीएस नावेद की कॉल डिटेल्स भी खंगाल रही है।
एटीएस की जांच के बाद पता चला कि अशफाक व मोइनुद्दीन वारदात के बाद सीधे इसलिए आए, क्योंकि उन्हें कथित रिश्तेदार नावेद से मदद मिलने की बात तय हो चुकी थी। इसके लिए प्रेमनगर से गिरफ्तार किए गए मौलाना कैफी व नावेद के पास पहले ही फोन आ चुका था। कहा जा रहा कि इस बाबत नागपुर से पकड़े गए साजिशकर्ता आसिम ने बात की थी।
कुंवरपुर में नावेद से मुलाकात के बाद तय हुआ कि बरेली से किसी मामले में जेल जाने की व्यवस्था करा दी जाए। इसके पीछे वजह थी कि आरोपित नहीं चाहते थे कि वे लखनऊ की पुलिस टीमों के हाथ आएं। यहां से जेल जाएंगे तो सुरक्षित रहेंगे। लखनऊ की पुलिस टीमें बाद में रिमांड पर भले ही ले लें मगर तब कोर्ट का दखल रहेगा। उसी के आदेश पर रिमांड मिल सकेगी। ये सब कराने के लिए नावेद ने हामी भरी थी। चूंकि वह खुद को वकील बताता था, इसलिए दोनों हत्यारोपितों ने उसकी हर बात में हामी भर दी, लेकिन बात नहीं बनी तो दोनों हत्यारोपित गुजरात चले गए। जहां राजस्थान के बॉर्डर पर पकड़े गए।
नावेद की कॉल डिटेल निकाल रही पुलिस
नावेद को पकडऩे के बाद एटीएस उससे पूछताछ कर रही है। इस दौरन एटीएस उसके नंबर की कॉल डिटेल निकाल कर यह जानने का प्रयास कर रही है कि नावेद ने हत्या की घटना के बाद किन-किन लोगों से बात की और हत्यारोपितों के बारे में किसे-किसे पता था।
नावेद के रिश्तेदारों ने बंद किए फोन नावेद के पकड़े जाने के बाद हालात यह है कि नावेद के परिचित व रिश्तेदार अब उससे दूर रहना चाहते हैं। पुलिस ने उसके किए गए ज्यादातर नंबरों पर संपर्क करने का प्रयास किया तो वह बंद मिले।