फर्रुखाबाद: नगर पालिका परिषद में निकाले गये सड़क निर्माण के टेंडरों को अबैध बताकर शासन में शिकायत की गयी है| जिसको लेकर रार फैली है| शासन नें कार्यवाही की तो टेंडर निरस्त भी हो सकते है|
दरअसल उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह नें बीते 20 सितम्बर 2019 को एक शासनदेश जारी किया| जिसमे उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रचलित नियमों के अनुसार नगर नियमों, नगर पालिका परिषदों, एवं नगर पंचायतों में पंजीकृत ठेकेदारों के द्वारा ही उस निकाय द्वारा प्रकाशित निविदाओं में किया जाता है| एक तरफ ई-टेंडरिंग के माध्यम से सम्बन्धित व्यक्ति देश के किसी भी कोनें में निविदा प्रक्रिया में भाग ले सकता है| वही दूसरी तरफ स्थानीय निकायों का यह प्राविधान की निविदा प्रक्रिया में भाग लेनें के लिए सम्बन्धित निकाय में पंजीकृत होना जरुरी है| आपस में विरोधभासी है|
आदेश में कहा है कि इसी कारण से नगर निगमों,नगर पालिका परिषदों, नगर पंचायतों द्वारा आमंत्रित निविदा में आवेदक का निकाय में पंजीयन आवश्यक नही है|
प्रमुख सचिव के आदेश के नगर पालिका फर्रुखाबाद में निविदा निकाली है| यह निविदा 21 सितम्बर और 25 सितम्बर को निकली| जिसमे यह आदेश किया गया कि पालिका के निर्माण विभाग में पंजीकृत ठेकेदार ई-निविदायें दें सकते है| जिस पर शासन की मंशा के विपरीत आदेश जारी करने का आरोप लगा है|
चार करोड़ 72 लाख के निकाली गयी निविदा
21 सितंबर को निकली निविदा में कुल 3 टेंडर निकले| जिसकी अंतिम तिथि 30 सितम्बर टेंडर हो भी गये| जिसकी कीमत 1 करोड़ 45 लाख 82 हजार 500 है|
25 सितम्बर को भी निविदा का प्रकाशन हुआ| जिसमे कुल 13 टेंडर निकाले गये| जिसकी अंतिम तिथि 4 अक्टूबर रखी गयी| यह टेंडर 2करोड़ 25 लाख 76 हजार 695 रूपये रखी गयी| इसी तारीख में और 24 टेंडर निकले| जिनकी लागत 1 करोड़ 1 लाख 94 रखी गयी|
सभी टेंडरों पर नजर डालें तो 4 करोड़ 72 लाख 59 हजार 289 के टेंडर शासन की मंशा के अनुरूप नही निकले| जिसकी शासन में सांसद प्रतिनिधि दिलीप भारद्वाज नें शिकायत भी की है| यदि प्रतिष्पर्धा में 5 प्रतिशत भी का पर टेंडर होते तो 23 लाख 62 हजार, 964 रूपये राजस्व की बचत हो सकती थी।
ईओ नगर पालिका रश्मि भारती नें जेएनआई को बताया कि शासनादेश 20 सितम्बर को जारी हुआ| शासनादेश उन्हें उपलब्ध नही हो पाया था| वही किसी से भी पंजीकृत होना अनिवार्य नही किया जा रहा है| आरोप गलत लगाये जा रहें है| निविदा विधिक रूप से ही प्रकाशित की गयी है|
सचिव नगर विकास अनुभाग 5 नें जेएनआई को बताया कि शासन ने निकायों में पंजीकरण का अनिवार्य होना समाप्त कर दिया है| यदि फर्रुखाबाद में यह हुआ है तो शिकायत पर जाँच करायी जायेगी|