आगरा: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा विभिन्न जिलों में नौ साल पहले लगाए गए दिव्यांग उपकरण वितरण शिविरों के घोटाले को लेकर उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद पर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने कानूनी शिकंजा कस दिया है। लुईस ने एटा की अदालत से अग्रिम जमानत मांगी है। न्यायालय ने 3 अक्टूबर को सुनवाई की तिथि निर्धारित की है, साथ ही आरोपितों को पेश होने का आदेश भी दिया है।
वर्ष 2009-10 में एडिप योजना के अंतर्गत डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट ने एटा, इटावा, फर्रुखाबाद, कासगंज, मैनपुरी, कन्नौज, अलीगढ़, शाहजहांपुर, बरेली, मेरठ, मुरादाबाद, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, संत रविदास नगर व इलाहाबाद(अब प्रयागराज) में दिव्यांगों के लिए सहायता शिविर लगाए थे। जिनमें दावा किया गया कि संस्था ने शिविरों में आए दिव्यांगों को उपकरण दिए। इसका सत्यापन 5 मई 2010 को परियोजना निदेशक की हैसियत से लुईस खुर्शीद ने किया था और उपकरण वितरण को सही ठहराया था। लुईस फर्रुखाबाद जिले की कायमगंज सीट से विधायक भी रह चुकी हैं।
इस मामले में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने जांच की। इस जांच में लुईस की सत्यापित रिपोर्ट फर्जी पाई गई। इसके बाद जांच एजेंसी के इंस्पेक्टर रामशंकर यादव ने अलीगंज थाने में लुईस और संस्था के सचिव अतहर फारुखी के खिलाफ 15 जून 2017 को एफआईआर दर्ज करा दी। अपने ऊपर कानूनी शिकंजा कसते देख आरोपितों ने अग्रिम जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की।
जहां से एटा में अपील करने के निर्देश दिए गए। तब यह याचिका जिला जज रेणु अग्रवाल की अदालत में दी गई, जहां सोमवार को सुनवाई हुई। शासकीय अधिवक्ता विनोद पचौरी व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अभिनंदन सिंह ने अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया। जनपद न्यायाधीश ने मामला अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत में भेज दिया और आरोपितों को 3 अक्टूबर को पेश होने का आदेश दिया है।