लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक दिन के लिए एंबुलेंस सेवा ठप होने से मरीजों को अगर जानलेवा असुविधा हुई है तो स्वास्थ्य सेवाओं को भी कम झटका नहीं लगा है। इसीलिए राज्य सरकार अब एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी जीवीके इएमआरआइ को दंड देने के लिए जहां लाखों रुपये जुर्माना लगाने जा रही है, वहीं इसकी पुनरावृत्ति न होने देने के लिए चेतावनी दी गई है कि अब यदि एंबुलेंस के पहिए थमे तो कंपनी को काली सूची में डाल दिया जाएगा।
वेतन और कई अन्य मुद्दों को लेकर एंबुलेंस ड्राइवरों और सेवा प्रदाता कंपनी के बीच का विवाद 23 सितंबर को प्रदेश भर में एंबुलेंस सेवा पर भारी पड़ गया था। हालांकि राज्य सरकार ने एंबुलेंस सेवा को आवश्यक सेवाओं में शामिल करते हुए एस्मा लागू कर दिया था, लेकिन एंबुलेंस ड्राइवरों ने इसे नहीं माना था, जबकि संचालक कंपनी भी सेवा बनाए रखने और अपने ड्राइवरों को अनुशासित रखने में विफल हो गई थी। बीते फरवरी माह में जीवीके इएमआरआइ कंपनी को जब प्रदेश में दोबारा एंबुलेंस संचालन का ठेका मिला था, तब टेंडर में यह शर्त शामिल थी कि यदि एंबुलेंस की कॉल का जवाब न देने पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा।
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि उप्र राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को जुर्माने की गणना करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए जिलों से उन एंबुलेंस वाहनों की संख्या जुटाई जा रही है, जिनका संचालन पूरी तरह ठप रहा है। प्रमुख सचिव ने बताया कि जुर्माना लगाने के साथ ही जीवीके इएमआरआइ कंपनी को भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति होने पर काली सूची में दर्ज करने के लिए भी चेताया गया है। दो साल पहले भी इसी एंबुलेंस कंपनी के कामकाज से असंतुष्ट होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सेवा प्रदाता बदलने के निर्देश दिए थे। इसके लिए प्रदेश को पूर्व और पश्चिम के क्लस्टर में भी बांटा गया था लेकिन जब टेंडर हुए तो इसी कंपनी को फिर प्रदेश के दोनों क्लस्टरों का काम मिल गया।