फर्रुखाबाद: सूचना तकनीक और कंप्यूटर क्रांति ने देश में आमूल परिवर्तन लाने का काम किया है| शिक्षा में तो इसका एतिहासिक योगदान होना चाहिए| मगर सर्व शिक्षा अभियान के तहत खरीदे गए अब तक के करोडो के कंप्यूटर से बच्चो को शिक्षा नहीं मिली| ये कंप्यूटर या तो चुनाव में काम आये या फिर बंद रखे रहे और कबाड़ में बदल रहे है| हाँ हर वर्ष इनके रखरखाव के लिए आने वाला दस हजार प्रति कंप्यूटर का बजट जरूर खर्च हो जाता है| फर्रुखाबाद के सरकारी माध्यमिक स्कूलों में लगने वाले अधिकांश कंप्यूटर कब कब खरीदे गए और कहाँ है इसकी बेसिक शिक्षा के पास कोई इन्वेंटरी रजिस्टर तक नहीं है| नयी खबर ये है कि वित्तीय वर्ष 2011 के अंत होने से पहले 30 लाख रुपये जनता के टैक्स के मद के बंदरबाट करने के लिए आ गए है| शिक्षा पर इतना ही संजीदा सरकार होती तो इस सत्र के पहले माह में ये कंप्यूटर खरीदती| अब परीक्षा सर पर है और शिक्षा के लिए 20 नए विद्यालयों में कंप्यूटर स्थापित किये जायेंगे और हर बीआरसी पर 1.2 लाख लागत से कंप्यूटर स्थापित किया जायेगा|
इन कंप्यूटर की खरीद के लिए बेसिक शिक्षा फर्रुखाबाद कार्यालय ने लखनऊ स्थित कुछ फर्मो से कुटेशन माँगा लिए हैं| हालाँकि कुटेशन भेजने वाली कम्पनिया जिन ब्रांडो के कंप्यूटर सप्लाई करने की बात करती हैं उसकी वो स्वयम निर्माता नहीं है| बाजार में बिकने वाले इन्ही ब्रांडो के ठीक उसी मापदंडो के कंप्यूटर की कीमत से तीस से चालीस प्रतिशत अधिक कीमत पर सप्लाई करने के लिए अपने कुटेशन भेजे हैं| सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय स्तर पर अब तक न कोई टेंडर निकला गया और न ही स्थानीय बाजार से कुटेशन आमंत्रित किया गया| कंप्यूटर की खरीद के लिए कमेटी गठित कर दी गयी जिसमे मुख्या विकास अधिकारी, एन आई सी के अनुराग जैन, आई टी आई के प्रधानचार्य और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल हैं| ये कंप्यूटर लगभग तीस लाख कीमत के खरीदे जाने हैं|
अब तो हालात बहुत सुधर गए है एक जमाना था जब बेसिक शिक्षा अधिकारी राघवेन्द्र बाजपेई के समय “माउस” को चूहा समझने वाले कमेटी में शामिल हो कम्पूटर खरीद रहे थे|
कंप्यूटर खरीद में सबसे बड़ा घपला सॉफ्टवेर खरीद में होता रहा है| हर कंप्यूटर की खरीद के साथ लगभग बीस हजार मूल्य के “ऑफिस” और “विंडो” असली सॉफ्टवेर सप्लाई के लिए सप्लायर वसूलता है और 30 कम्पूटर पर एक असली और बाकि सब के लिए उसकी कापी (नक़ल वाली) सी डी सप्लाई देता है| इस प्रकार लगभग 6 लाख के मूल्य के सोफ्टवेयर का घोटाला हर बार होता ही रहा है| कंप्यूटर शिक्षा की जिम्मेदार विभाग के अफसर इस बात के जबाब पर खामोश हो जाते है कि पिछले वर्षो में खरीदे गए कंप्यूटर के सॉफ्टवेर और उनके पंजीकरण संख्या कहाँ है|