लखनऊ:उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के करीब ढाई वर्ष के कार्यकाल के बाद अब उनके मंत्रिमंडल में शीघ्र विस्तार की अटकलें काफी तेज हैं। शुक्रवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात के बाद शनिवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने गवर्नर आनंदीबेन पटेल से भी राभजवन में मुलाकात की थी। योगी आदित्यनाथ सरकार में अभी 43 मंत्री हैं, उत्तर प्रदेश में अधिकतम 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इसको देखते हुए अभी भी एक दर्जन मंत्री बनाए जाने की गुंजाइश है। माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार 20 अगस्त के बाद हो सकता है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार शीघ्र होने की अटकलें तेज हो गई हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार का यह पहला मंत्रिमंडल विस्तार होगा। मंत्रिमंडल विस्तार के साथ मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल संभव है। मंत्रिमंडल में जल्द ही फेरबदल हो सकता है और कई नए चेहरों को जगह मिल सकती है। शनिवार को अटकलों को तब और बल मिला जब मुख्यमंत्री योगी शाम को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने राजभवन पहुंचे। दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत चली। यह मुलाकात बेहद अहम थी, जिसको पूरी तरह से गोपनीय रखा गया। इनके बीच कैबिनेट फेरबदल और नए मंत्रियों को शामिल करने को लेकर चर्चा हुई। इस मुलाकात के बाद से 20 अगस्त तक यूपी मंत्रिमंडल में फेरबदल के कयास लगाए जा रहे हैं।
इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के साथ नई दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। इनके साथ बैठक में भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी शामिल हुए थे। इस दौरान चारों नेताओं के बीच यूपी में मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर लंबी चर्चा हुई थी। माना जा रहा है कि इन नेताओं ने उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल को आखिरी रूप दिया है। इसके बाद से योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं।
चेहरे के नाम व मंत्रालय आवंटन पर विचार
शुक्रवार को यूं तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एम्स में भर्ती भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को देखने के लिए शुक्रवार को दिल्ली गए थे, लेकिन अमित शाह से उनकी मुलाकात के बाद सूबे में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा तेज हो गई है। मुख्यमंत्री के साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के दिल्ली जाने और भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल के पहले से वहां मौजूद रहने से इस चर्चा को और बल मिला। चर्चा है शाह से मुलाकात के दौरान मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने वाले चेहरों और विभागों के आवंटन पर विमर्श हुआ। दिल्ली से वापसी के बाद मुख्यमंत्री शनिवार शाम पांच बजे राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे। योगी आदित्यनाथ व आनंदीबेन की मुलाकात लगभग आधे घंटे की रही। योगी आदित्यनाथ की पहले अमित शाह और फिर आनंदीबेन से मुलाकात के बाद माना जा रहा हैै कि अब कभी भी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। रविवार को मुख्यमंत्री गोरखपुर में हैं इसलिए मंत्रिमंडल का विस्तार अगले सप्ताह में किसी भी दिन होने की प्रबल संभावना है।
अरसे से चल रही हैं चर्चाएं
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाएं तो अरसे से चल रही हैं लेकिन, लोकसभा चुनाव में सरकार के तीन मंत्रियों के सांसद चुने जाने और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्तगी के बाद इसे लेकर कयास तेज हो गए थे। परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वतंत्र देव सिंह को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनाने से उनका मंत्री पद छोडऩा भी तय है। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में मंत्रिमंडल विस्तार के लिए यह समय उपयुक्त माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद सीट से रीता बहुगुणा जोशी, कानपुर से सत्यदेव पचौरी और आगरा से एसपी सिंह बघेल ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद तीनों नेताओं ने योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा ओम प्रकाश राजभर भी सरकार का साथ छोड़ चुके हैं। चारों मंत्रियों के विभाग दूसरे सहयोगी मंत्री संभाल रहे हैं।
जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने पर जोर
मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने पर जोर होगा। सरकार में पूर्वांचल और बुंदेलखंड की नुमाइंदगी बढऩे के आसार हैं। सांसद बनने वाले तीन मंत्रियों में से दो ब्राह्मण और एक दलित हैं। मंत्रिमंडल में होने वाले समायोजन में इस तथ्य पर भी गौर होगा। राजभर की सरकार से बर्खास्तगी की भरपाई स्वतंत्र प्रभार के मंत्री अनिल राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाकर की जा सकती है।
राज्य सरकार में गुर्जर समाज का अभी कोई मंत्री नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार में गुर्जर समाज को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। मंत्री पद के लिए गुर्जर समाज से एमएलसी अशोक कटारिया और एमएलए तेजपाल नागर के नाम चर्चा में हैं। अनुसूचित जाति के कोटे में एमएलसी विद्यासागर सोनकर का नाम सबसे आगे है। इनके अलावा दिनेश खटिक, दल बहादुर, श्रीराम चौहान और विजयपाल में से भी किसी को मौका मिल सकता है। लोकसभा चुनाव में हाथरस से धोबी बिरादरी के सांसद राजेश दिवाकर का टिकट कटा था। धोबी समाज को भी सरकार में प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।
वहीं अगड़ी जातियों में एमएलसी विजय बहादुर पाठक और यशवंत सिंह समेत कुछ नाम चर्चा में हैं। स्वतंत्र प्रभार के मंत्रियों में डॉ.महेंद्र सिंह को प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है। जिन मंत्रियों के काम से मुख्यमंत्री असंतुष्ट हैं, उन्हें अपेक्षाकृत कम महत्व वाले विभाग सौंपे जा सकते हैं।