फर्रुखाबाद: लोकतंत्र में सरकार जनता के लिए काम करती है ऐसा किताबो में पढ़ाया गया था| तब दुनियादारी की समझ कम थी| हकीकत से जब सामना हुआ तो समझ में आया कि जनता सरकार के लिए काम करती है| सरकार बनाने के लिए वोट देती है, देश चलाने के लिए टैक्स देती है, और जब कभी कुदरत मुह फेर लेती है तो जान तक दे देती है| हकीकत के आईने में भले ही जनता बदहाल हो मगर सरकार की फाइलों में कमालगंज ब्लाक के बहोरिकपुर और बेहटा गाँव के वाशिंदों का हाल खुशहाल है|
सरकारी फ़ाइल और इन्टरनेट के आंकड़े (जानने के लिए यहाँ क्लिक करे) बताते है कि गाँव ओडीऍफ़ हो गया है| मतलब ये कि गाँव में हर घर में शौचालय बन गया है और नित्य क्रिया से फारिग होने के लिए अब कोई खुले में नहीं जाता| गलियां पक्की है, सफाई कर्मी समय से अपना काम करता है और गाँव से लेकर स्कूल तक सब चकाचक रखता है| यहाँ आयुष्मान कार्ड बन गए है, सबके राशन कार्ड बने और ईमानदारी से हर माह राशन बटता है| गाँव में हर किसी के पास मकान है और समय से स्वास्थ्य कर्मी अपना काम नियमित कर रहे है| गाँव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो को कॉटन की मानक वाली स्कूल ड्रेस मिल गयी है उसमे गर्मी भी नहीं लगती! क्या क्या गिनाये सरकार की फाइलों का| मगर कभी कोई अफसर किसी गाँव में अचानक गलिओं में घूमने की जहमत उठाता है क्या? जरुरत भी क्या उसे सरकार की फाइलें जो दुरुस्त करनी है| जन प्रतिनिधि को खुश रखना है| और पूरे खेल में जनता कहाँ है इसकी चिंता की जैसे आवश्यकता नहीं है|
तस्वीरे बतौर बानगी ग्राम पंचायत बेहटा की है| गाँव की गली बनाने के लिए इस जगह के लोग पंद्रह साल से मांग कर रहे है| दलित और पिछड़े वर्ग की बस्ती को आसरा लगा कि अब पिछड़े वर्ग के प्रधानमंत्री है शायद अब बन जाए| मगर नहीं बना और दुबारा फिर आसरे में वोट दिया| हाँ सांसद की बिरादरी के नहीं है, क्षेत्रीय विधायक की बिरादरी के नहीं है इतना ठप्पा तो है इस बस्ती के वाशिंदों पर| मगर इसमें इनका क्या कसूर| भगवान् पूछ के पैदा करता तो ये भी किसी बड़े घराने में पैदा होते| रामपाल, विनोद, पुत्तु, उपासना, आदेश जैसे एक पन्ने पर लिखे 25 नाम और उनके आगे लगे अंगूठे गाँव की बेहतरीन साक्षरता होने के सरकारी प्रमाण का मजाक उड़ा रहे है| बेसिक शिक्षा विभाग ने यहाँ सभी को साक्षर कर दिया था कई साल पहले| ये उसकी बानगी है| तो एक गली और उसमे भरा कीचड और खुद की मेहनत से उसे वाशिंदों में इस कदर तो बना लिया कि पैदल निकल सके| मगर नौनिहाल बच्चे अक्सर स्कूल पहुचने से पहले ही अक्सर कीचड में गिर कर सरकार की दी हुई उच्चतम गुणवत्ता वाली ड्रेस को गन्दा होने से नहीं बचा पाते|
बहोरिकपुर गाँव में सुबह शाम एक लम्बी लाइन लगी होती है| एक एक बोतल हाथ में| वनस्पति इसके कि गत वर्ष ही ग्राम पंचायत में 468 शौचालय बनबाये गए है| कुल 608 शौचालय है| मगर हैं कहाँ इसे सत्यापित करना किसे पसंद होगा| ग्राम सचिवो और प्रधानो से लेकर स्वच्छ भारत मिशन को ऐसा साफ़ किया है कि हंसमुखी पत्नी ब्रह्मानंद के हिस्से का भी शौचालय साफ़ कर गए| बेचारे पिछड़े जात के है| गरीब है, झोपडी डाल के रात काटते है| मेहनत मजदूरी करके राशन पानी का जुगाड़ कर लेते है| बस जिन्दा है| और शायद यही जरुरी भी है| दो वोट जो है पांच साल में एक बार सांसद, विधायक, प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनने में काम आयेंगे| तो लोकतंत्र में जो जरुरी है वो जिन्दा होना, वो हंसमुखी और ब्रह्मानंद है| मौत से से बदतर जिन्दगी| कौन है इसका जिम्मेदार? जो वादे कर जाते है वो? या फिर जो वादे पूरे करने के लिए रखे गए है वो? या वे खुद जो जिन्दा है………
व्यवस्था को शर्म लगे तो एक बार इस गाँव का भी देशाटन कर ले……ये भीड़ जो घेरे खड़ी है निशब्द मांग कर रही है….