जिस चाचा की हत्या में सजा हुई उसकी रिपोर्ट लिखाने वाले दूसरे चाचा की भी हत्या का आरोप भी इन्ही में एक हत्यारे पर है, जिस पर फैसला अभी अदालत को करना है
फर्रुखाबाद: विकासखंड राजेपुर के ग्राम भरखा में खानदानी खूनी रंजिश का इतिहास काफी पुराना है। ग्राम सभा की भूमि पर खड़ी पतेल काटने जैसे मामूली विवाद में 18 वर्ष पूर्व हुई क्रास फायरिंग में दोनों ओर से एक-एक लाश उठी थी। तब से आज तक रंजिश की फसल लहलहा रही है। तत्कालीन ग्राम प्रधान योगेंद्र प्रताप सिंह की हत्या के मामले में बुधवार को अपर जिलाजज के न्यायालय से आरोपी शशिप्रताप सिंह, आनंद प्रताप सिंह व अजय प्रताप सिंह को आजीवन काराबास की सजा सुनाई गयी। तीनों को जेल भेज दिया गया है|
कहानी काफी दुर्भाग्यपूर्ण और रोमांचक है। ग्राम भरखा के तत्कालीन प्रधान योगेंद प्रताप सिंह ने ग्राम सभा की भूमि पर खड़ी पतेल को काटने का विरोधा किया तो सगे सम्बंधियों में 18 वर्ष पूर्व तीन दिसंबर 1993 को विवाद फायरिंग तक पहुंच गया। योगेंद्र सिंह की गोली से राघवेंद्र पताप सिंह की मौत हो गयी, जबिक दूसरी ओर से हो रही फयरिंग में योगेंद्र सिंह की भी मौत हो गयी। योगेंद्र के भाई देवेंद्र प्रताप सिंह ने शशि प्रताप सिंह व उनके दो भाइयों आनंद प्रताप सिंह और अजय प्रताप सिंह के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायी, तो दूसरी ओर से देवेंद्र प्रताप व उनके भाई कौशलेंद्र प्रताप के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया। इस दौरान योगेंद्र की हत्या के मुकदमें के वादी उनके भाई देवेंद्र प्रताप सिंह का भी मात्र 11 माह बाद ही 16 नवम्बर 1994 को जिलापंचायत परिसर में दिन दहाड़े मर्डर कर दिया गया। यह मुकदमा भी शशिप्रताप सिंह उर्फ गुडडू के नाम लिखा गया। यह मुकदमा देवेंद्र के भाई कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने लिखाया। संयोग देखिये कि कौशलेंद्र प्रताप सिंह का पांच वर्ष पूर्व एक दुर्घटना में देहांत हो गया। मगर इसके बावजूद योगेंद्र की हत्या के मामले मे शशिप्रताप सिंह और उनके दो सगे भाइयों को उम्र कैद की सजा हो गयी। इसे संयोग ही कहा जायेगा कि पूर्व प्रधान की हत्या के मुख्य आरोपी शशिप्रताप सिंह की पत्नी मृदुला इस समय ग्राम प्रधान हैं। उनके भाई आनंद प्रताप सिंह वकील है और तीसरे भाई अजय प्रताप सिंह अवर अभियंता बताये गये हैं। न्यायालय के आदेश पर तीनों को जेल भेज दिया गया है|