फर्रुखाबाद: एमआर टीकाकरण अभियान के क्रम में शुक्रवार को शहर के एक होटल में ‘एमआर केस बेस्ड सर्विलांस’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमे कहा गया कि अब मीज़ल्स व रूबेला के हर केस की निगरानी की जायेगी|
मीज़ल्स और रुबेला जैसी जानलेवा बीमारी को जड़ से ख़त्म करने के लिए ‘एमआर केस बेस्ड सर्विलांस’ पर एक दिवसीय कार्यशाला विश्व स्वास्थ्य संगठन फर्रुखाबाद यूनिट के सहयोग से आयोजित की गयी|जिसकी अध्यक्षता मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० चंद्रशेखर ने की । उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य मीज़ल्स-रुबेला से जुड़े खतरों और बचाव की जानकारी देने के साथ स्टाफ की कार्यकुशलता एवं तकनीकी ज्ञान को बढ़ाना है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अभी तक किसी भी क्षेत्र में एमआर 4-5 केस मिलने पर जांच व निगरानी कराई जाती थी किन्तु अब प्रत्येक एमआर केस की जानकारी होने पर उसकी पूरी जांच और निगरानी कराई जाएगी। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, डॉ. प्रभात वर्मा ने जानकारी दी कि मीज़ल्स से ग्रसित बच्चे में बुखार व शरीर पर दाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। रुबेला के लक्षण भी मीज़ल्स (खसरे) के सामान ही होते हैं। साथ ही यह रोग एक बच्चे से दूसरे बच्चे में भी फैल सकता है। इसलिए इस बीमारी का इलाज व इससे बचाव बेहद ज़रूरी है। ऐसे में मरीज़ को विटामिन-ए की खुराक देना लाभदायक होता है।
कार्यक्रम में सिविल अस्पताल लिंजीगंज के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ० आरिफ , डॉ० सोमेश, डॉ० नवनीत, डॉ० मान सिंह, डॉ० दीपांशु आदि रहे|