फर्रुखाबाद: नगरपालिका को दुधारू गाय समझ पालिका की सत्ता में बैठने वाले नेता पिछले 30 साल से एक ही खेल रहे है| पैसा बनाना| बेहयाई और बेशर्मी का लबादा इस कदर ओढ़ा हुआ है कि आख बंद कर अँधेरा होने के गुमान में खो चले| भूल गए जुम्मन मिया कि अब दौर डिजिटल मीडिया का है, कुछ जुगनू सरीखे चिराग ऐसे भी है जो अँधेरे में भी परदा उठा देते है|
अभी जुमा जुमा 20 दिन हुए होंगे जब सफाई संविदा और अन्य सफाई कर्मियों के कंधे पर बन्दूक रख कर नगरपालिका के अफसरों को जलील करने की नाकामयाब कोशिश की गयी थी| अब बारी बिजली कर्मियों की है| गोया भूल गए कि संविदा कर्मचारी सप्लाई करने वाली फर्म भले ही बेनामी हो मगर पब्लिक तक बात जुम्मन मियां ने हड़ताल करा कर बात खुद मीडिया तक पंहुचा दी है|अब जख्म कुरेदने की कोशिश करोगे तो दर्द होगा ही| ताजा खबर ये है कि नगरपालिका में बिजली का काम कर रहे संविदा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए| भाई संविदा कर्मचारी हड़ताल पर गए और नगरपालिका का काम वाधित हुआ तो ठेकेदार को नोटिस दो, फर्म ब्लैकलिस्ट करो और नई निविदा मांग लो, इसमें कैसा शर्माना| ठेकेदार क्यों नहीं भुगतान कर्मचारियों का कर रहा? एक तो पैसे नहीं दे रहा दूसरा जनहित के काम में रोड़ा अटका कर कानून व्यवस्था खराब करने की तरफ इशारा कर रहा| संविदा कर्मचारियों को भड़काकर नगरपालिका अधिशाषी अधिकारी के खिलाफ नारे लगवा रहा| नए टेंडर खुलेआम किसी बड़े अख़बार में प्रकाशित कर निकालो एक नहीं दस मिलेंगे| मगर चोरी छिपे किसी चौपतिया अखबार (जिसकी प्रतिया जिले में सिर्फ उसी को मिलती हो जिसका विज्ञापन छपता हो) में टेंडर निकाल कर काम करोगे तो ऐसे ही ठेकेदार मिलेंगे| या कहो ऐसा जानबूझकर किया गया ताकि खुद की बेनामी फर्म को लेबर सप्लाई का काम दिलाया जा सके| खबर तो यही है नगरपालिका फर्रुखाबाद की हर उस फर्म में जिसमे लेबर सप्लाई का काम है उनकी बेनामी पत्ती है इसीलिए वो हो रहा है जो अपेक्षित नहीं है|
जनता भी जाने क्या हो रहा है-
दरअसल में नगरपालिका में जो ठेका लेबर सप्लाई का चल रहा है उसकी दरे न्यूनतम मजदूरी की दरो से कम का है| जाहिर है ऐसे में लेबर को भुगतान काटपीट कर 5300 रुपये मासिक किया जा रहा है| सन्डे मंडे या सरकारी छुट्टी पर पैसे काट लेने जैसे घटिया काम भी होते है| जबकि न्यूनतम वेतनमान 9100/- प्रतिमाह है| उत्तर प्रदेश शासन ने निर्देशित किया है कि सभी संविदा कर्मचारियों का आधार और बैंक अकाउंट संख्या ऑनलाइन फीड कराओ, सरकार की मंशा संविदा कर्मियों को पूरा भुगतान देने की है जबकि ठेकेदार इनके बहुत ही कम पैसे देता है और जाहिर है कि जब कम पैसे से पेट नहीं भरता तो कोई भी पेट पालने के लिए ऊपर से कमाएगा और फिर भ्रष्टाचार करेगा| उस लेबर के भ्रष्टाचार से पेट ठेकेदार का भर रहा है और ठेकेदार के पास इस समस्या का कोई हाल नहीं क्योंकि असल में ठेका उसका नहीं| हालाँकि ये बात जुम्मन मियां मानेगे नहीं| कोई बात नहीं न माने| मगर संविदा कर्मियों की नगरपालिका के प्रति हड़ताल तो बिलकुल नाजायज है| अब नगरपालिका अधिशाषी अधिकारी मजबूर है, संविदा कर्मचारियों का डाटा ऑनलाइन नहीं लिहाजा पैसा भेजा नहीं गया टो वो क्या अपनी जेब से दे| हाँ जेब से ठेकेदार के देने की जिम्मेदारी है, क्योंकि लेबर कभी भी इस शर्त पर काम करने के लिए नहीं लगाया जाता कि उसे जब सरकार से पैसा मिलेगा तब ठेकेदार पेमेंट करेगा|
तो मामला अब जनता को कुछ कुछ समझ आ गया होगा| सरकार पारदर्शिता के तहत कर्मचारियों को सीधे सीधे पूरा पैसा देना चाहते है| मगर बेनामी ठेकेदार नहीं चाहते कि संविदा कर्मचारियों का डाटा ऑनलाइन हो और उनका अवैध हिस्सा कोई मार ले जाए| ऐसे में वे अफसरों के कंधो पर बन्दूक बार बार कर्मचारियों से चलवाते है| अब ये मत पूछना कि नगरपालिका फर्रुखाबाद में बेनामी ठेकेदार कौन है? बाकी कहानी अगले अंक में …. हड़ताल अभी शुरू हुई है….
(note- इस स्टोरी में जुम्मन मियां को प्रतीक के तौर पर लिया गया है… असल कहानी इससे और गंभीर हो सकती है)