लखनऊ:पेट्रोल पंपों पर डीजल और पेट्रोल की चोरी की आशंका में लीगल मेट्रोलॉजी विभाग ने बड़ा कदम उठाते हुए डेढ़ हजार यूनिट मशीनों का संचालन रोकने को कहा है। यह वह मशीनें हैं जो दिसंबर 2016 से पहले की हैं और सॉफ्टवेयर टेंपरिंग से सुरक्षित नहीं है। विभाग का कहना है कि इन मशीनों से चोरी रोकना संभव नहीं है, इसलिए बदलने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
बिना छेड़छाड़ हो रही है सॉफ्टवेयर टेंपरिंग
लीगल मेट्रोलॉजी विभाग ने हापुड़ में पेट्रोल पंपों पर सॉफ्टेवयर टेंपरिंग कर तेल चोरी के खुलासे के बाद प्रदेश भर में ऐसी यूनिटों की जांच कराई थी जिनमें घटतौली या चोरी की संभावना हो सकती है। बांट-माप विभाग की जांच में पाया गया है कि करीब डेढ़ हजार मशीनें ऐसी हैं जो पुरानी हैं और एक खास मेक मॉडल की हैं। इनमें बिना सील से छेड़छाड़ के साफ्टेवयर टेंपरिंग आसानी से हो सकती है और इसका पता भी नहीं लगाया जा सकता है। विभाग ने इनसे चोरी की आशंका जताते हुए तत्काल बंद करने का आदेश दिया है। लीगल मेट्रोलॉजी विभाग के राज्य नियंत्रक सुनील वर्मा के मुताबिक तेल कंपनियों ने भी माना कि उनके पास फिलहाल पुरानी मशीनों से चोरी रोकना संभव नहीं है। उपभोक्ताओं के हितों को देखते हुए यह बड़ा फैसला लिया गया है।
एसटीएफ भी करेगी जांच: तेल चोरी का नेटवर्क देश और प्रदेश में देखते हुए इसकी जांच में एसटीएफ को लगाया गया है। दो साल पूर्व एसटीएफ की लखनऊ यूनिट ने पेट्रोल पंपों पर चिप से तेल चोरी का खुलासा किया था। तब करीब दौ सौ पंप तेल चोरी के मामले में पकड़े गए थे।