वाराणसी:लोकसभा चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन भी साबित हो रहा है। कुछ ऐसा ही मामला वाराणसी में सोमवार को सामने आया जब समाजवादी पार्टी से दो प्रत्याशी चर्चा में आ गए। पहले से तय सपा प्रत्याशी शालिनी यादव का नामांकन जुलूस भी निकला और जुलूस जब नामांकन स्थल तक पहुंचा तो पता चला कि पार्टी ने उनका टिकट अब काट कर बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को दे दिया है।
दोपहर बाद स्पष्ट हुई प्रत्याशी की स्थिति
इससे पूर्व प्रदेश में सपा बसपा गठबंधन के तहत वाराणसी लोकसभा सीट सपा के हिस्से में गई थी। इसके बाद पार्टी की ओर से कांग्रेस से सपा में शामिल शालिनी यादव को बतौर प्रत्याशी सपा की ओर से उतारा गया था। सोमवार को नामांकन जुलूस में सपा और बसपा कार्यकर्ताओं के साथ वह नामांकन करने पहुंची तो पता चला कि उनकी जगह पार्टी ने दूसरा प्रत्याशी घोषित कर दिया है। दोपहर बाद सपा की ओर से आधिकारिक तौर पर सेना के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को वाराणसी से समाजवादी पार्टी का टिकट दे दिया गया। इस बाबत सपा के आधिकारिक टवीटर हैंडल से जानकारी भी दोपहर बाद साझा की गई तो वाराणसी लोकसभा को लेकर स्थिति और भी स्पष्ट हो गई।
असमंजस में रहे प्रत्याशी और कार्यकर्ता
पहले शालिनी यादव को सपा की ओर से अधिकृत प्रत्याशी बताया गया था मगर नामांकन जुलूस निकलने के बाद दोपहर बाद सेना में खराब भोजन का वीडियो वायरल होने के बाद से चर्चा में आए बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का नाम भी सामने आया। इसके बाद वह भी सपा के दूसरे धड़े के साथ समर्थकों की टीम लेकर नामांकन दाखिल करने कलेक्ट्रेट सभागार पहुंच गए। इससे सपा के कार्यकर्ताओं में भी असमंजस की स्थिति हो गई। देखते ही देखते सामन्य माहौल गहमागहमी भरा हो गया और असमंजस को देखते हुए शालिनी यादव सपा के पदाधिकारियों के साथ सभागार में चली गईं।
बने नए सियासी समीकरण
समाजवादी पार्टी की ओर से असमंजस दूर होने के बाद सपा के दो गुट आमने सामने हो गए लिहाजा वाराणसी में नए सियासी समीकरण सामने आने की स्थितियां बन गई हैं। दोपहर बाद बात सिंबल पर अटक जाने से एडीएम प्रशासन कोर्ट में ही शालिनी यादव फैसले का इंतजार करती नजर आईं। हालांकि सुबह से ही शालिनी यादव के समर्थन में सपा और बसपा के समर्थक उमडे और नामांकन जुलूस नामांकन स्थल तक लेकर गए। जुलूस जब नामांकन स्थल तक पहुंचा तब तेज बहादुर के नाम की चर्चा होने से कार्यकर्ता भी असमंजस में पड़ गए हैं।