फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) आजादी के बाद जनपद में कई बार इंदिरा गाँधी का आगमन हुआ| लेकिन जब भी इंदिरा गाँधी जनपद भ्रमण पर आयी उन्होंने खाना लालचंद के हाथ से ही बना खाया| उनके आने की खबर के बाद अधिकारी लाल चंद व उनकी टीम को सूचना भेजते थे और उसके बाद पूरी टीम इंदिरा के आने से एक दिन पूर्व ही पंहुचकर उनकी पसंद का मीनू तैयार करती थी|दशकों बीत गये लेकिन इंडिया को लजीज व्यंजन खिलाने की यादे लाल चंद (बावर्ची) और उनकी टीम के सदस्यों के जहन में आज भी जिन्दा है|
दरअसल तकरीबन पांच दशक पहले जिले में होटलों की संख्या कम थी| जिसमे नेहरु रोड पर रामोतार रस्तोगी द्वारा खोला गया “इम्पीरियल होटल” सबसे बेहरतीन हुआ करता था|जिसमे 1967 में बावर्ची के रूप में लाल चंद नौकरी करने पंहुचे|जिसके कुछ वर्षों के बाद बाद जिले में पूर्व पीएम इंदिरा गाँधी का आगमन हुआ| उनके खान-पान की व्यवस्था के लिए “इम्पीरियल होटल” के बावर्ची लालचंद के एक दर्जन साथियों की टीम को प्रशासन के द्वारा फतेहगढ़
डांक बंगले बुलाया गया| लालचंद अपनी टीम के साथ डांक बंगले एक दिन पूर्व ही पंहुचे और सभी को इंदिरा के भोजन का इंतजाम बेहतर करने को कहा गया|लालचंद बताते है कि इंदिरा को नाश्ते में हरी उबली मटर और जलेबी परोसी गयी|साथ में आमलेट भी दिया गया| इंदिरा ने आधा आमलेट लालचंद को दे दिया| और उनकी पाक कला की तारीफ़ की|दशको बीत जाने के बाद भी आज भी इंदिरा की यादें लाल चंद (बावर्ची) एक मात्र फोटो जिसमे इंदिरा उनके बनाये हुए नाश्ते को खाते हुए दिख रही है बची है| लाल चंद का कहना है कि इसके बाद जब भी इंदिरा फर्रुखाबाद आयी उनकी टीम को ही खाने की व्यवस्था के लिए बुलाया जाता था|
बड़ी-बड़ी हस्तियों को ऊँगली चाटने पर मजबूर कर चुके है लाल चंद
आज “इम्पीरियल होटल” में काम करते लोगों को उनके पसंद का खाना परोसते-परोसते लाल चंद को दशकों बीत चुके है| कमर झुकने लगी और आँखों से भी धुंधला दिखने लगा लेकिन उनके हाथ से बना खाना खाना आज भी पहले जैसा ही है| लाल चंद ने जेएनआई को बताया कि पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह,तत्कालीन गवर्नर मर्री चेन्ना रेड्डी,मेंनका गाँधी आदि लोगों को भोजन सर्व कर चुके है|
लाल चंद के पुराने साथी दशकों बाद भी उसी जगह कर रहे काम
“इम्पीरियल होटल” में शायद ही कोई हो जो एक दो दशक पुराना हो| लेकिन अन्य होटल का पूरा प्रबन्धन दशकों से उसी जगह काम कर रहा है| होटल के मैनेजर सुशील कुमार के अनुसार बेटर का काम करने वाले जगदीश 1972 से सेवाएं दे रहे है| राकेश भी एक ही जगह पर काम करते हुए बुजुर्ग हो गये|लेकिन जिलें में लोकसभा चुनाव के चुनावी तडके ने उन सभी की पुरानी यादो को फिर ताजा कर दिया|