फर्रुखाबाद:रंगों का त्योहार होली जिले भर में परंपरागत तरीके से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में रंग बरसै भीगे चुनर वाली रंग बरसै, होली के दिन दिल मिल जाते हैं|
शहर में होलिका दहन के साथ ही होली गीतों की धूम रही। इसके साथ शुरू होली गीतों का कार्यक्रम अपरान्ह 2 बजे तक चला। रंग का दौर थमने के बाद लोगों का एक दूसरे घरों आकर गले मिलने के सिलसिला शुरू हुआ, जो देर शाम तक चलता रहा। घरों में होली का मुख्य पकवान गुझिया के साथ तरह-तरह के व्यंजन पकाए गए। इन्हीं व्यंजनों से आगंतुकों का स्वागत किया गया।
होली का पर्व उत्साह, उल्लास और उमंग के लिए जाना जाता है। इस बार होली में इन तीनों का ही अभाव दिखाई दिया। होली तो मनी लेकिन रश्मअदायगी को। महंगाई का दंश और समाज के मौजूदा हालात को देखते हुए ज्यादातर लोगों ने परिवार के साथ ही त्योहार का लुत्फ उठाना मुनासिब समझा। शायद यही वजह रही कि न सड़कें लाल हो सकीं और न ही राह चलते लोगोें पर छतों से रंगों की बरसात हुई।
शहर से लेकर गांवों तक होली का यही हाल रहा जबकि महज दशक भर पहले तक होली की रंगत इतनी चटख होती थी कि हफ्तों राह चलते लोगों के होली बीतने का अहसास कराती थी। अब यह बात नहीं रही है। गुरुवार होलिका दहन के बाद उड़ने वाली अबीर और गुलाल में कमी दिखाई दी। सड़कों पर रंग तो चला लेकिन एक दायरे तक। पिचकारी लिए बच्चे ही सड़कों में होली के रंग भरते नजर आए। छतों से बरसने वाला रंग भी इस बार देखने को कई मोहल्लों का भ्रमण करना पड़ा।