फर्रुखाबाद, 25 फरवरी: रेल बजट की घोषणाओं का बेसब्री से इंतजार कर रहे फर्रुखाबादियों को दीदी की ममता के नाम पर मायूसी ही हाथ लगी है। हाल ही में स्थानीय सांसद का केंद्रीय कैबिनेट में रुतबा बढ़ने के बाद से रेल बजट में दिल्ली और लखनऊ के लिये जनपदवासियों की कुछ नयी ट्रेनों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। लेदे कर गोहाटी और सियालदा के लिये सप्ताह में एक एक ट्रेन के लालीपाप के अलावा यह पटाखा भी फुस्स हो गया।
रेल लिंक के लिहाज से काफी पिछड़े जनपद फर्रुखाबाद को ब्राड गेज आमान परिवर्तन के बाद कुछ नयी ट्रेनों की शिददत से जरूरत और उम्मीद थी। हाल ही में स्थानीय सांसद सलमान खुर्शीद का केंद्रीय कैबिनेट में कद बढ़ने के बाद इन उम्मीदों को और भी पर लग गये थे। परंतु शुक्रवार को संसद में प्रस्तुत रेल बजट से जनपदवासियों को नाउम्मदी ही हाथ लगी है। यहां से दिल्ली जाने के लिये जनपदवासी बर्षों से एम मात्र ट्रेन कालिंदी पर ही आश्रित हैं वह भी साल में दो महीने धोखा दे जाती है। लखनऊ के लिये भी सीधी ट्रेन के नाम पर केवल छपरा एक्सप्रेस है या एक पैसेंजर ट्रेन। कुल मिला कर फर्रुखाबादियों के लिये “दिल्ली हूनूज़ दूर अस्त”। हां पूर्वी भारत से जोड़ने वाली दो ट्रेनों से भटटे वालों को पथेरे मजदूर लाने या दुर्गम ग्रामीणों को विवाह के लिये महिलाये लाने में अवश्य आसानी हो सकती है।
रेल बजट में फर्रुखाबाद से मैलानी वाया शाहजहांपुर के जिस ट्रेन रूट के संवेक्षण का जिक्र किया गया है उसके पूरे होने और फिर उस पर ट्रेन दौड़ते देखपाने का सपना कम से कम 50 की उम्र के लोगों के लिये तौ देखना बेमानी ही होगा।