बनगांव:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने वाले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अब्दुल नईम उर्फ शेख समीर को शनिवार को बनगांव महकमा अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। शेख समीर को गत मंगलवार को अदालत ने दोषी करार देते हुए फैसले को सुरक्षित रखा था।
अदालत सूत्रों के मुताबिक फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद शेख समीर न्यायाधीश विनय कुमार पाठक के सामने यही सफाई देता रहा कि उसने पीएम की हत्या की कोई साजिश नही रची थी। शेख समीर लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य था। अप्रैल, 2007 में उसे पेट्रापोल सीमा स्थित एक परित्यक्त मकान से तीन अन्य लोगों के साथ सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने गिरफ्तार किया था। अन्य तीन के नाम मोहम्मद यूनुस, शेख अब्दुल्ला और मुजफ्फर अहमद राठौड़ हैं। सीआइडी ने उन चारों के खिलाफ देश के खिलाफ युद्ध छेडऩे, हथियार जमा करके रखने समेत कई संगीन आरोपों में मामला दर्ज किया था। शेख समीर मूल रूप से महाराष्ट्र के औरंगाबाद का रहने वाला है।
सॉफ्टेवयर इंजीनियर समीर 2005 में सऊदी अरब गया था। वहां लश्कर-ए-तैयबा के एजेंट अहमद से उसका परिचय हुआ। शेख समीर वहां से पाकिस्तान चला गया। वहां उसने आतंकी प्रशिक्षण लिया। कश्मीर में भारतीय सीमा पर कड़ी निगरानी होने के कारण समीर भारत में घुसपैठ नहीं कर पा रहा था इसलिए वह अपने साथियों के साथ पाकिस्तान के रावलपिंडी से बांग्लादेश के ढाका पहुंचा। वहां मोती झील नामक इलाके के एक होटल में ठहरा और फिर बेनापोल से सीमा पार करके बनगांव पेट्रोपोल के एक परित्यक्त मकान में शरण ली। वहीं से बीएसएफ ने शेख समीर व उसके तीन साथियों को दबोचा। उसके खिलाफ 2012 में बनगांव महकमा अदालत में मामला शुरू हुआ।
इस दौरान वह 2014 में एक मामले की पेशी के लिए मुंबई ले जाए जाने के दौरान ट्रेन से भाग निकला। उसे 2017 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या का मामला दर्ज किया गया ह। शेख समीर को तिहाड़ जेल भेज दिया गया। वहां से शेख समीर को बनगांव महकमा अदालत में पेश किया गया। गत मंगलवार को अदालत ने शेख समीर को दोषी करार दिया और शनिवार को फांसी की सजा का एलान कर दिया गया।