फर्रुखाबाद: देश और दुनिया में जिस दौरान क्रिकेट के विश्वकप का बुखार चढ़ा होगा, उसी दरम्यान उत्तर प्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं की पिच पर नकल और अकल के बीच ‘मैच’ हो रहा होगा। नकल माफिया जहां अपने मंसूबे कामयाबी को ‘फील्डिंग’ सजाने में जुट गए हैं तो सरकारी मशीनरी इनके ‘विकेट’ उखाड़ने का एक बार फिर दम भर रही है। नतीजा क्या होगा, ये परीक्षा के दौरान ही पता चल पाएगा।
17 मार्च से यूपी बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। एक ओर नकल विहीन परीक्षाएं सम्पन्न कराने के लिए तय होने के बावजूद विभाग द्वारा परीक्षा केन्द्र सूची इसलिए जारी नहीं की जा रही कि कहीं नकल माफिया सक्रिय न हो सकें। सूत्रों की मानें तो नकल माफिया अपने जीतोड़ प्रयासों से परीक्षा केन्द्र निर्धारण की सूची प्राप्त करने में सफल हो गये हैं। इस समय वे मनमाफिक केन्द्र व्यवस्थापकों व कक्ष निरीक्षकों की तैनाती कराने के लिए अपने तीर चलाने में जुटे हैं।
यदि इस बार भी उनका तीर निशाने पर बैठ गया तो निश्चित ही शासन का नकल विहीन परीक्षाएं संचालित कराने का सपना एक बार फिर टूट जाएगा। सूत्र बताते हैं कि नकल माफियाओं ने इस सत्र से हाईस्कूल में बदली हुयी पद्धति को लेकर भी अपने गुणा-भाग लगाने शुरू कर दिये हैं।
विदित हो कि इस बार नकल का कॉकस तोड़ने के लिए बोर्ड द्वारा प्रश्न पत्र को चार कोडों में बांटा गया है। यही नहीं इसमें पूछे जाने वाले प्रश्न भी एक दूसरे परीक्षार्थियों से भिन्न होंगे, जिससे निश्चित ही नकल पर नकेल लगेगी।