यूपी की सत्यानाश चिकित्सा सेवायें!

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फर्रुखाबाद: जनपद की चिकित्सा सेवाओं में अभी तक कोई सुधार नहीं हो सका है| मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर जिस प्रकार से चिकित्सा सेवाओं को सुधारने की बात कही जा रही थी उसकी पोल दो दिन में ही खुल गई जब प्रसव पीड़ा से कराह रही एक महिला ने अस्पताल गेट पर ही एक बच्ची को जन्म दिया|

इस सम्पूर्ण घटना क्रम में लोहिया अस्पताल के कर्मचारियों की भूमिका रही क्योंकि उन्होंने समय से महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जबकि महिला प्रसव होने से काफी समय पहले ही अस्पताल पहुँच गई थी|

अभी दो दिन पहले स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डाक्टर यूसी सिन्हा व डॉक्टर वीरेन्द्र सिंह ने सयुक्त रूप से लोहिया अस्पताल का निरीक्षण किया था| जिसमे अस्पताल की अनेकों खामियों को देखकर अस्पताल प्रसाशन को तमाम हिदायतें दी गईं थीं| गंदे बिस्तर और भूखे मरीजों से उन्हें भी दो चार होना पड़ा था| ये हाल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्र के चुनावी क्षेत्र का है| जाहिर है यूपी के हाल का अंदाजा लगाया जा सकता है| मंत्रीजी जनता की सुध लेने की जगह प्रदेश में ब्राह्मण नेता बनने के मंसूबे पाल रहे है| प्रदेश में मायावती और उनके मंत्रिमंडल के कुनवे की सेहत और उनकी तिजोरिओं की सेहत भले ही सुधर रही हो मगर पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिमागी बुखार की बीमारी से मरने वालो की संख्या कम करने में सरकार नाकाम हो गयी| मंचो से मंत्री भले ही प्रदेश की जनता की सेहत सुधारने के लाख दावे करे परन्तु इसका अस्पताल के प्रसाशन तथा कर्मचारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है| क्योंकि फर्रुखाबाद के जिला चिकित्सालय में प्रसव के लिए आई महिला से सुविधा शुल्क न मिलने पर उसे वापिस लौटा देना और फिर महिला द्वारा अस्पताल गेट पर प्रसव हो जाना अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार का जीता जगता उदाहरण है|