लखनऊ:इसे सरकार की उलटबांसी ही कहा जाएगा कि उत्तर प्रदेश में जिन दो बड़े विभागों को संभालने के लिए दो उप मुख्यमंत्री हैं, उनकी जिम्मेदारी सिर्फ एक ही आइएएस पर है। लोक निर्माण विभाग उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पास है तो माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा डॉ. दिनेश शर्मा के पास। इनके लिए योजना और क्रियान्वयन के लिए महज एक अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल हैं। यह भी अजब विडंबना है कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार के पास अपने अधीनस्थ खुद ही 20 विभाग हैं लेकिन, उन्हें बेसिक शिक्षा जैसे बड़े विभाग का काम भी देखना पड़ रहा है। और तो और प्रदेश के मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय इस पद के साथ ही अवस्थापना और औद्योगिक विकास आयुक्त का पद भी संभाल रहे हैं।
प्रमुख अफसरों पर अधिक जिम्मेदारी
अनूप चंद्र पांडेय – मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त
संजय अग्रवाल – अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग, अपर मुख्य सचिव मा. शिक्षा, उच्च शिक्षा
डॉ. प्रभात कुमार – कृषि उत्पादन आयुक्त, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा विभाग का अतिरिक्त प्रभार
कल्पना अवस्थी – प्रमुख सचिव आबकारी, वन एवं पर्यावरण विभाग का अतिरिक्त प्रभार
रेणुका कुमार – अपर मुख्य सचिव महिला कल्याण, अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग का अतिरिक्त प्रभार
आलोक सिन्हा – अपर मुख्य सचिव वाणिज्य कर एवं मनोरंजन कर, अपर मुख्य सचिव आइटी एवं इलेक्ट्रानिक्स का अतिरिक्त प्रभार
आलोक कुमार – प्रमुख सचिव ऊर्जा, अध्यक्ष पावर कॉरपोशन
अपने काम में सामंजस्य कैसे बैठाएं
बड़े पदों पर काबिल अफसरों की कमी प्रदेश की एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि उनके पास अच्छे अधिकारियों की कमी है। उधर पदों पर बैठे अधिकारियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह अपने काम में सामंजस्य कैसे बैठाएं। रिजल्ट देने वाले अधिकारियों की कमी से उनके पास कई-कई विभागों का बोझ है। कुछ अधिकारियों के पास तो इतने महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी है कि उन्हें दम लेने भर की फुर्सत नहीं। मसलन कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) डा. प्रभात कुमार का ही उदाहरण लें। एपीसी होने के साथ ही उनके पास यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की तो जिम्मेदारी है ही, बेसिक शिक्षा जैसा बड़ा विभाग भी देखना पड़ रहा है।
107 आइएएस अधिकारियों की कमी
उत्तर प्रदेश में आइएएस संवर्ग में 621 पद हैं। इनमें 433 पद प्रत्यक्ष भर्ती के हैं जबकि 188 प्रमोशन से भरे जाते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी स्वीकार करते हैं कि अफसरों की कमी से काम पर असर पड़ा है। रिजल्ट देने वाले अधिकारियों की क्षमता भी काम के बोझ की वजह से प्रभावित होती है। प्रदेश में 107 आइएएस अधिकारियों की कमी है। विभागीय पदोन्नति से भी बहुत असर नहीं पड़ने वाला, क्योंकि हाल-फिलहाल बड़ी संख्या में आइएएस सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पिछले जनवरी माह से ही अब तक 24 अधिकारी रिटायर हो चुके हैं, जबकि एक आइएएस की सेवाकाल में मृत्यु हो चुकी है। अफसरों की कमी को देखते हुए ही योगी सरकार ने प्रतिनियुक्ति से कुछ अधिकारियों को बुलवाया है लेकिन, इससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ने जा रहा, क्योंकि एक दर्जन अधिकारी प्रतिनियुक्ति के इंतजार में भी हैं।
समस्या दूसरी भी है
संयोजक लोक प्रहरी सेवानिवृत्त आइएएस एसएन शुक्ला का कहना है कि अधिकारियों के पास अधिक विभाग होने से काम पर असर होना स्वाभाविक है। समस्या दूसरी भी है। पिछले कुछ दशकों से सत्ता प्रतिष्ठानों ने अपने चहेते अफसर तय करने शुरू किए हैं। नियमानुसार आइएएस अपने संवर्ग में विभागाध्यक्ष का एक से अधिक पद नहीं रख सकता लेकिन, इसकी अनदेखी की जाती है।