फर्रुखाबाद: ना अधिकारीयों को पता ना ही जनप्रतिनिधि कुछ देखना चाहते| गरीब की थाली में पुलाब तभी आता है जब शहर में चुनाव आता है| चुनाव के बाद आम जनता आम हो जाती है और जनप्रतिनिधि गलियों को छोड़ हाई-वे की तरफ रुख कर लेते है| सरकार चाहे सपा की हो या बसपा की या बीजेपी की सबका साथ और सबका विकास कभी हो ही नहीं पाता| जनप्रतिनिधि सुनते नहीं और अधिकारीयों के द्वारों से कभी फरियादियों की संख्या ही कम नहीं होती| इस हालत में एक गरीब विधवा के दर्द को कौन सुने जिसके बाद ना ही जुगाड़ है न ही बाबुओ की जेब गर्म करने के लिये पैसा| विधवा अपनी दो मासूम अनाथ नातियों के साथ मुखमरी की कंगार आर है| जबकि बीते 22 जुलाई को जनपद आये
मामला कही दूर का नही| शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला अढ़तियान का है| जंहा 65 वर्षीय बेबा उर्मिला पत्नी सुभाष अपनी बेबा पुत्री सोनम वर्मा व उसके दो मासूम पुत्रों पांच वर्षीय आयुस व तीन वर्षीय वंश के साथ मजदूरी कर पेट पाल रही थी|
बीते 14 जुलाई को सोनम वर्मा की इलाज में लापरवाही के चलते मौत हो गयी|अब सोनम के दोनों मासूम बेटों का भार वृद्ध उर्मिला के कन्धों पर आ गया| लेकिन बुजर्ग होने के कारण वह अब और मेहनत करने को लेकर मजबूर है| जिससे दोनों मासूम भाईयों का जीवन अधर में लटका है| घर में दो जून की रोटी के लाले है| हिन्दू युवा वाहिनी भारत के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश मिश्रा ने घटना की कड़ी निदा कर प्रेस से वार्ता की| जिसमे उन्होंने इलाज में लापरवाही करने वाले महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ० कैलाश के खिलाफ कार्यवाही व उर्मिला व मासूम बच्चो की जीविका की व्यवस्था कराए जाने की मांग की है| उन्होंने आरोप लगाया की जनप्रतिनिधिओं के भीतर समवेदना नही रह गयी है|
वही सांसद मुकेश राजपूत से जब जेएनआई ने बात की तो उन्होने कहा की वह अभी दिल्ली में संसद सत्र में आये हुए है| उनके मामला संज्ञान में नही था| वह जल्द ही जनपद लौटकर उर्मिला व मासूमों की समस्या का कोई ठोस हल निकाल देंगें|
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