मेरठ:बागपत के कुख्यात सुनील राठी का गिरोह यूपी के अलावा उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली तक फैला हुआ है। सुनील राठी टीकरी गांव का रहने वाला है और दोघट थाने का हिस्ट्रीशीटर है। उसने 18 साल पहले उस समय अपराध की दुनिया में कदम रखा था जब उसके पिता नरेश राठी की बड़ौत के पास हत्या कर दी गई थी। उसके बाद सुनील ने वर्तमान नगर पंचायत टीकरी अध्यक्ष के भाई महक सिंह और तेहरे भाई मोहकम सिंह को कस्बे में ही गोलियों से भूनकर मार दिया था। सुनील ने कस्बे में ही सुधीर और उसके बाद सोमपाल राठी के ही तेहरे भाई महिपाल और पंजाब के जगतार की हत्या कर दी थी।
महक सिंह और मोहकम की हत्या में अदालत ने 11 साल पहले सुनील को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसी मामले में वह बागपत जेल में सजा काट रहा है। सुनील राठी के गिरोह के शातिर अपराधी अमित उर्फ भूरा को तीन साल पहले देहरादून से पेशी पर लाया जा रहा था तो बागपत शहर के पास सुनील राठी के इशारे पर ही 20 से ज्यादा बदमाशों ने देहरादून पुलिस पर फायरिंग कर अमित को छुड़ा लिया था। पुलिस की ओर से दर्ज कराए मुकदमे में सुनील राठी, उसकी मां राजबाला और दिल्ली के पूर्व विधायक रामबीर शौकीन को भी आरोपित बनाया था।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार उप्र, दिल्ली और उत्तराखंड राज्य के विभिन्न थानों में सुनील राठी के खिलाफ हत्या, लूट, अपहरण, रंगदारी, जानलेवा हमला, गैंगस्टर, धमकी देने आदि के 25 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। दूसरी ओर दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड में सुनील राठी पर हत्या और रंगदारी के मुकदमे दर्ज होने से आए दिन कोर्ट में पेशी पर जाता रहता है। सोमवार को भी सुनील राठी की दिल्ली में पेशी थी। पुलिस लाइन से सुबह पुलिसकर्मी उसे लेने के लिए पहुंचे। मुन्ना की हत्या के बाद आला अधिकारियों ने सुनील राठी से कई घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद पुलिस को पेशी पर नहीं भेजे जाने की जानकारी दी।
पूर्वांचल ही नहीं मुन्ना बजरंगी का पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी आतंक था। उसने दो पुलिस अधिकारियों समेत पउप्र के तीन लोगों की हत्या करके सनसनी फैला दी थी। 1998 से 2004 के बीच बजरंगी ने एसटीएफ के आइजी रहे पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली। फर्जी मुठभेड़ और हत्या की साजिश जैसे गंभीर आरोप भी लगाए। इन मामलों की पैरवी अंडरवल्र्ड डॉन दाउद इब्राहिम के अधिवक्ता करते थे। मुख्तार अंसारी इन मामलों में मध्यस्थता करता था।
दाऊद के संपर्क में ऐसे आया बजरंगी
एसएसपी राजेश कुमार पांडेय बताते हैं कि एसटीएफ के गठन के बाद उन्हें मुन्ना बजरंगी को पकडऩे का लक्ष्य दिया गया था। उन्होंने मुन्ना की कुंडली खंगाली। उस समय वह जौनपुर का छोटा सा बदमाश हुआ करता था। पहला मुकदमा दर्ज होते ही उसने मुख्तार से संपर्क साधा। इसके बाद कई साल तक उसने मुख्तार के लिए काम किया। मुख्तार के संबंध अंडरवल्र्ड डान दाउद इब्राहिम से थे। मुन्ना का नाम जिस भी अपराध में आता था, दाउद के अधिवक्ता उस मामले की पैरवी करते थे।
पश्चिम में मुन्ना का तांडव
मुन्ना ने मेरठ-गाजियाबाद बार्डर पर डीपी यादव के भाई रामसिंह यादव की हत्या की थी। इसके अलावा उप्र एसटीएफ के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर प्रीतम सिंह तथा दिल्ली पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर राजवीर सिंह को भी मुन्ना ने गैंग के साथ मिलकर मौत की नींद सुला दिया था।
मुन्ना बजरंगी मुख्तार अंसारी का शूटर था। मुख्तार के माध्यम से ही वह दाऊद के संपर्क में आया। इसके बाद बजरंगी ने दाऊद के अधिवक्ताओं का भी इस्तेमाल किया।राजेश कुमार पांडेय, एसएसपी मेरठ
तीन वजह-वर्चस्व, विवाद या सुपारी
हिस्ट्रीशीटर सुनील राठी आखिरकार मुन्ना बजरंगी के खून का प्यासा क्यों हो गया? इसे लेकर लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। तीन चर्चा आम हैं। पहली वर्चस्व, दूसरी सुनील के भाई अरविंद से बजरंगी का विवाद, तीसरी सुपारी लेकर हत्या करने की वजह सामने आ रही है। चर्चा है कि सुनील राठी का भाई पूर्वांचल जेल में बंद है। वहां पर मुन्ना बजरंगी के गुर्गो से उसका किसी बात को लेकर विवाद हुआ है। इसमें मुन्ना बजरंगी ने हस्तक्षेप किया। इसी का बदला लेने के लिए खून-खराबा किया गया है। कुछ लोगों का मानना है कि सुनील राठी अपना पूर्वांचल में आपराधिक साम्राज्य स्थापित करना चाहता है। इसमें मुन्ना बजरंगी आड़े आ रहा था। उसे रास्ते से हटाने के लिए उसकी हत्या की गई है। सुपारी लेकर हत्या की भी बात सामने आ रही है।
बजरंगी का साथी जीवा मैनपुरी में काट रहा सजा
कुख्यात मुन्ना बजरंगी का अहम साथी संजीव उर्फ जीवा मैनपुरी जेल में सजा काट रहा है। बजरंगी की हत्या के बाद मैनपुरी जेल प्रशासन की धड़कनें बढ़ गई हैं। सुरक्षा घेरा बढ़ाते हुए कैदियों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। सोमवार को जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा ने सभी बैरकों की तलाशी कराई। कुख्यात मुन्ना बजरंगी का साथी शामली निवासी संजीव उर्फ जीवा, विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में शामिल था। वर्ष 2015 में जीवा को प्रशासनिक आधार पर बाराबंकी जेल से मैनपुरी जिला जेल लाया गया था। तब से वह मैनपुरी जेल में ही बंद है।
जेल में कहां से आई पिस्टल
मुन्ना बजरंगी की हत्या जेल में पिस्टल से गोली मारकर की गई। अहम सवाल यह है कि कुख्यात सुनील राठी के पास पिस्टल कैसे पहुंची? इस हत्याकांड से जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। चार दिन पूर्व अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान जेल में कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली थी। सोमवार को जेल में अचानक पिस्टल पहुंच गई। हेमंत सिंह का कहना है कि मुन्ना की हत्या की साजिश पहले ही रच ली गई थी। परिजनों को भी हत्या का आभास हो गया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ ही अदालत में अर्जी लगाई थी कि मुन्ना बजरंगी को बागपत अदालत न भेजा जाए। वीडियो कांफ्रेस से ही पेशी कराई जाए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।