नई दिल्ली: अरुण जेटली संसद में हिंदी में भाषण पढ़ रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य इस साल 70 लाख नई नौकरियां पैदा करने का है। इससे पहले बजट भाषण की शुरुआत में वित्त मंत्री ने कहा कि गरीबों को मुफ्त डायलेसिस सुविधा दी जाएगी। अरुण जेटली ने बताया है कि कृषि उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर है। किसानों को सही भुगतान के लिए ई-सिस्टम बनाया जाएगा। साथ ही कृषि के लिए क्लस्टर विकास योजना लागू हो गई है। वित्त मंत्री ने बजट में यह घोषणा की है कि सरकार का लक्ष्य हर राज्य में सरकारी मेंडिकल कॉलेज खोलने का है। नए मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद हर तीन संसदीय क्षेत्र में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज हो जाएगा।
पहली बार ऐसा हो रहा है कि बजट को सरकार द्वारा प्रिंट नहीं करवाया गया है। इसकी ऑनलाइन कॉपी सभी जगहों पर उपल्बध करवाई जाएगी। इसके अलावा इस बार बजट का ज्यादातर भाग वित्तमंत्री द्वारा हिंदी में पढ़ा जाएगा। आपको बता दें कि यह मौजूदा सरकार का आखिरी और जीएसटी लागू होने के बाद पहला आम बजट होगा। Union Budget 2018 की पूरी कवरेज और एक्सपर्ट के साथ सटीक विश्लेषण आप जागरण के साथ पढ़ सकते हैं।
बजट को कितना बदलेगा जीएसटी
जीएसटी के बाद बजट के किस तरह के बदलाव आएंगे? इस सवाल पर राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान की सलाहकार और अर्थशास्त्री राधिका पांडे ने बताया कि पहले यह जान लें कि आम बजट के अमूमन दो हिस्से होते हैं। पहले हिस्से में सरकार विभिन्न योजनाओं या स्कीमों के लिए लिए बजट राशि का आवंटन करती है। वहीं बजट के दूसरे हिस्से में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के प्रस्ताव की बात होती है। अब चूंकि जीएसटी में वैट, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स समेत एक दर्जन से ज्यादा अप्रत्यक्ष कर शामिल हो गए हैं तो सरकार के पास इनमें फेरबदल की गुंजाइश नहीं रह जाती, क्योंकि जीएसटी अब एक अलग कानून है और जीएसटी की दरों में बदलाव के लिए काउंसिल की मंजूरी जरूरी है। ऐसी स्थिती में सरकार के पास या तो जीएसटी से बाहर छूटे टैक्स कस्टम ड्यूटी आदि में कुछ बदलाव करने की गुंजाइश बचती है या फिर तंबाकू, पेट्रोल डीजल समेत ऐसी चीजें जो अभी जीएसटी के दायरे में नहीं हैं, उनमें कुछ बदलाव हो सकते हैं।
बजट से नदारद होगा सस्ता-मंहगा फैक्टर
आमतौर पर बजट के बाद ज्यादातर लोगों की यह जिज्ञासा रहती है कि बजट के असर से कौन कौन सी चीजें सस्ती और महंगी हुईं। यह सस्ते महंगे की मूल वजह दरअसल अप्रत्यक्ष करों में बदलाव से जुड़ी होती है। अब चूंकि जीएसटी लागू होने बाद ज्यादातर अप्रत्यक्ष करों में बदलाव की गुंजाइश खत्म हो गई है इसलिए सस्ता महंगा फैक्टर इस बार के बजट में कम दिखेगा।