लखनऊ:प्रदेश सरकार ने मदरसों में रमजान की छुट्टियां कम कर दी हैं। यह अवकाश 46 दिनों के बजाय इस वर्ष 42 दिनों का ही होगा। सरकार ने मदरसों में पहली बार दशहरा, दिवाली, रक्षाबंधन, क्रिसमस, महावीर जयंती व बुद्ध पूर्णिमा जैसे अवकाश शामिल किए हैं। इन छुट्टियों में मदरसे बंद रहेंगे।
प्रदेश सरकार के छुट्टियों के कैलेंडर में इस बार 89 अवकाश हैं, जबकि पिछले वर्ष छुट्टियों की संख्या 92 थी। सरकार ने इस बार सात नए अवकाश मदरसों में जोड़े हैं। सरकार ने मदरसों में रमजान की छुट्टियों में कटौती की है। पहले ये छुट्टियां 46 से 47 दिन होती थीं, लेकिन इस बार इसे 42 दिन कर दिया गया है। 12 दिन के विशेष अवकाश को भी घटाकर आठ दिन कर दिया गया है। पहले मदरसों में 10 दिन का विशेष अवकाश दिया जाता था। यह मदरसों के विवेक पर निर्भर होता था कि वे इसे किसी भी त्योहार के साथ जोड़कर दे सकते थे। दो दिन का अवकाश मदरसा प्रबंधक एवं प्रधानाचार्य के पास अलग से होता था। इसे वर्ष 2018 में घटाकर आठ कर दिया गया है। इनमें दो-दो अवकाश यानी चार छुट्टियां प्रबंधक एवं प्रधानाचार्य दे सकेंगे, जबकि चार दिन का विशेष अवकाश किसी भी त्योहार पर निर्धारित प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जाएगा। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता ने बताया कि दिवाली, दशहरा, रक्षाबंधन व क्रिसमस ऐसे राष्ट्रीय त्यौहार हैं जिन्हें मदरसों में भी मनाया जाना चाहिए। इसलिए ये अवकाश बढ़ाए गए हैं।
छुट्टियों की सियासत में उलझी भाजपा
भाजपा छुट्टियों की सियासत में उलझ गई है। इस बार मदरसों की छुट्टियां सरकार ने कम की हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार बनाने के बाद प्रदेश में 15 छुट्टियां खत्म कर दी थीं। उन्होंने कहा था कि महापुरुषों के जन्मदिन की छुट्टी के बजाय उस दिन महापुरुषों की जिंदगी के बारे में बच्चों को बताया जाना चाहिए ताकि वे उनकी जिंदगी से प्रेरणा हासिल कर सकें। सरकार ने केवल उन महापुरुषों की जयंती छोड़ी थी जिनमें राष्ट्रीय अवकाश होता है। अब मदरसों में महावीर जयंती व बुद्ध पूर्णिमा का भी अवकाश जोड़ दिया है।
चार साल से घट रही मदरसों की छुट्टियां
मदरसों में अवकाश घटने का सिलसिला पिछले चार सालों से लगातार जारी है। वर्ष 2015 में मदरसों में 98 छुट्टियां दी गईं थीं। उस समय रमजान के मौके पर 47 अवकाश दिए गए थे। 2016 में ये अवकाश घटकर 96 रह गए। वर्ष 2017 चार और छुट्टियां कम हो गईं। पिछले वर्ष 92 अवकाश मदरसों को दिए गए थे, जबकि वर्ष 2018 में अवकाशों की संख्या 89 ही रह गई है।
सामंजस्य व भाईचारा बढ़ाने के लिए की गईं छुट्टियां
अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि आपसी भाई-चारा व सामंजस्य बढ़ाने के लिए दिवाली, दशहरा, रक्षाबंधन व क्रिसमस की छुट्टियां मदरसों में की गईं हैं। जब ईद-बकरीद व मोहर्रम की छुट्टियां दूसरे कॉलेजों व महाविद्यालयों में होती हैं तो फिर मदरसों में भी दिवाली, दशहरा की छुट्टियां क्यों नहीं हो सकती हैं। ये ऐसे पवित्र राष्ट्रीय त्योहार हैं जिन्हें भारत की धरती पर पैदा होने वाला प्रत्येक व्यक्ति आदर्श के रूप में मनाता है। अभी तक मदरसों के बच्चों को राष्ट्र की मुख्य धारा से अलग रखा गया। रमजान सहित कुछ विशेष अवकाश इसलिए कम किए गए हैं क्योंकि अधिक छुट्टियां होने के कारण इसका असर पढ़ाई पर पड़ता।
बहाल की जाएं कम की गईं छुट्टियां
टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महामंत्री दीवान साहेब जमां खां ने कहा कि दूसरे धर्मों के त्योहार की छुट्टियां जोडऩा स्वागत योग्य है, लेकिन किसी विशेष आयोजन की छुट्टियां कम कर देना उचित नहीं है। रमजान की छुट्टियां भी घटाना ठीक नहीं है। मोहर्रम के विशेष आयोजन में 10 दिन का विशेष अवकाश इनकी छुट्टियों में जोड़ दिया जाता था, लेकिन इसे सरकार ने खत्म कर दिया है। सरकार को मदरसे की कम की गई छुट्टियां बहाल करनी चाहिए।