फर्रुखाबाद:नेशनल मेडिकल कमीशन बनाने के सरकार के नए प्रस्ताव के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से जुड़े जिले के करीब दर्जनों डॉक्टर हड़ताल पर हैं| इस बंद के कारण मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है| डॉक्टरों के इंतजार में सुबह से ही मरीज अस्पतालों के बाहर खड़े हैं| दरअसल, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने सोमवार को ऐलान किया था कि 2 जनवरी को देश भर के लगभग सभी प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टर सेवाएं नहीं देंगे| आईएमए की ओर से 12 घंटे तक रोजमर्रा की चिकित्सा सेवाएं बंद रखने के आह्वान के मद्देनजर आज सुबह 6 बजे से शाम को 6 बजे तक स्वास्थ्य सेवाएं बंद रखने का फैसला लिया गया|
हड़ताल का कारण
फिलहाल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया देशभर के मेडिकल प्रोफेशनल्स की प्रतिनिधि संस्था है| देश का कोई भी रजिस्टर्ड डॉक्टर इसका चुनाव लड़ सकता है| और अपना लीडर चुनने के लिए वोट कर सकता है| नेशनल मेडिकल कमीशन बनने के बाद इसमें गवर्मेंट द्वारा चुने गए चेयरमैन और सदस्य रखे जाएंगे|. इसके अलावा बोर्ड मेंबर्स को कैबिनेट सेक्रेटरी के अंडर में काम करने वाली सर्च कमेटी चुनेगी|
इंडियन मेडिकल काउंसिल को नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2017 के प्रावधानों से एतराज है| नए बिल के मुताबिक अब तक प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15% सीटों का फीस मैनेजमेंट तय करती थी. अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट को 60% सीटों का फीस तय करने का अधिकार होगा. इसमें पहले 130 सदस्य होते थे और हर राज्य का तीन प्रतिनिधि होता था. अब नए बिल के मुताबिक कुल 25 सदस्य होंगे, जिसमें 36 राज्यों में से केवल 5 प्रतानिधि ही होंगे.
मरीज परेशान
डॉक्टरों के हड़ताल के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है| आंख चेक कराने गए एक मरीज ने बताया अस्पताल तो खुले हैं लेकिन डॉक्टर ही नहीं हैं| अस्पतालों के बाहर मरीजों की लंबी कतारें लगी हुई हैं|उन्हें शाम को या कल आने का आश्वासन देकर घर भेज दिया जा रहा है|
आईएमए के अध्यक्ष डॉ० एचके बचानी व सचिव डॉ० विपुल अग्रवाल ने बताया कि जनपद में किसी भी चिकित्सक ने हड़ताल के तहत कोई मरीज नही देखा गया| केबल गम्भीर मरीजो का इमरजेंसी में इलाज किया गया| बिल के तहत नर्सिंग होम पर अतरिक्त बोझ था| उन्होंने बताया कि बिल मंगलवार को संसद में पेश होना था| लेकिन उसे पेश नही किया गया|