राम राज्याभिषेक के साथ मानस सम्मेलन का समापन।

FARRUKHABAD NEWS धार्मिक सामाजिक

फर्रुखाबाद: मानस सम्मेलन के अन्तिम पांचवें दिन मानस विद्वानों ने श्रीराम राज्याभिषेक कराया जिसमें आवाह्न किया गया कि आज ऐसे राम राज्य की आवश्यकता है जिसमें शांति, सुरक्षा, सुख, आतंकवाद विहीन, जाति विभेद, अमीर-गरीब में समानता सहित सब कुछ विद्यमान हो। सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी की पत्नी श्रीमती अनीता द्विवेदी ने मानस मंच पर सभी विद्वानों का माल्र्यापण किया, और रामनामी दुपट्टा सभी को ओढ़ाकर सभी को सम्मानित किया।
मोहल्ला अढ़तियान स्थित मिर्चीलाल के फाटक में संयोजक डाॅ0 रामबाबू पाठक के संरक्षण में चल रहे मानस सम्मेलन में जालौन से पधारे मानस मर्मज्ञ ईश्वरदास ब्रह्मचारी ने राम राज्याभिषेक पर कहा कि श्रीराम ने लंका का राजा विभीषण को और किष्किंध्या का राजा सुग्रीब को बनाने के बाद भाई लक्ष्मण व भार्या सीता के साथ अयोध्या पहुंचे। भाई भरत के आग्रह पर गुरू वशिष्ठ ने श्रीराम राज्याभिषेक की तैयारी की। अयोध्या में राम दरबार सजा हुआ है। गुरू वशिष्ठ ने विधि विधान व वैदिक मंत्रों के साथ श्रीराम का राजतिलक किया, और मुकुट पहनाकर अयोध्या के सिंहासन पर उन्हें आरूढ़ किया। श्रीराम का राज्याभिषेक होते ही सभी माताएं, भाई-बन्धु व समस्त अयोध्या की जनता हर्षित हो गई। आकाश से देवताओं ने राज्याभिषेक पर पुष्प्प वर्षा की।

कन्नौज से पधारे मानस विद्वान रामेन्द्र तिवारी ‘‘विराम‘‘ ने मानस की समीक्षा करते हुये कहा कि जब श्रीराम गुरू विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा के लिये गये तो राक्षस खर-दूषण से अकेले ही लड़कर परास्त किया और छोटे भाई लक्ष्मण को राक्षस के आगे से हटा दिया। जबकि रावण अपने छोटे भाईयों को पहले विरोधियों से लड़ने को भेजता था और स्वयं पहले लड़ने नहीं जाता था यही श्रीराम व रावण में अंतर था। श्रीराम ने जब अंगद को लंकापति रावण के पास भेजा तो भी शत्रु के लाभ की श्रीराम को चिंता थी। कानपुर से पधारे मानस मनोहर आलोक मिश्रा ने कहा कि भरत माताओं व गुरू के साथ राम से मिलने बन में जाते हैं। तो श्रीराम सबसे पहले माता कैकई से मिलते हैं। राज्य परम्परानुसार भरत के राजा बनने पर राजमाता कैकई हुयीं। उसी अनुसार श्रीराम ने माता कैकई के चरण छुए, सीता ने भी पहले अपने कोमल हाथों से कैकई के चरण दबाए। श्रीराम से कैकई ने चरण छोड़ने को कहा तो श्रीराम बोले माता आप न होतीं तो पिता पुत्र तथा भाई-भाई का प्यार कैसा होता है यह संसार जान नहीं पाता। उन्होने कहा कि भाई वह नहीं है जो सम्पत्ति मंे बंटवारा करावाए भाई वह जो विपत्ति में बंटवारा करवाए। औरैया से पधारे मानस विद्वान स्वामी प्रेमदास ने भजन प्रस्तुत किया ‘‘जिंदगी एक किराये का घर है, एक न एक दिन सबको जाना पड़ेगा, मौत जब तुमको आवाज देगी, एक दिन घर से निकलना पड़ेगा‘‘।
संचालन पं0 रामेन्द्र नाथ मिश्र व तबले पर संगत नन्दकिशोर पाठक ने की। मानस प्रेमियों में ज्योति स्वरुप अग्निहोत्री, हरिओम, सुबोध मिश्रा, बीके सिंह, भारत सिंह, अपूर्व, सुजीत व अजीत पाठक, अतुल पाण्डेय, संजय द्विवेदी, सोनू द्विवेदी, दिवाकर लाल अग्निहोत्री, राधेश्याम गर्ग, आलोक गौड़, मधु गौड़, रजनी लौंगानी, अशोक रस्तोगी, अजय कृष्ण गुप्ता, महेश शुक्ला, सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।