फर्रुखाबाद: सूर्य पूजन के साथ 29 वें मानस सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ। मुख्य अतिथि लगभग 105 वर्षीय स्वामी शिबानन्द सरस्वती ने मानस की रामकथा में सभी से जुड़ने का आग्रह किया, और अपने जीवन को मंगलमय व सार्थक बनाने का शुभाशीष दिया।
मोहल्ला अढ़तियान स्थित मिर्चीलाल के फाटक में ज्योती स्वरुप अग्निहोत्री के साथ अन्य मानस भक्तों ने सूर्य पूजन किया। पं0 रामेन्द्र नाथ मिश्र ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सूर्य पूजन कराया। तत्पश्चात सामूहिक आरती हुई। मुख्य अतिथि स्वामी शिबानन्द सरस्तवी ने कहा कि संतों के सत्संग से मानव का कल्याण होता है और मनोकामना पूर्ण होती है। उन्होने सभी मानस प्रेमियों से पांच दिवसीय रामकथा का रसपान करने का आग्रह किया। मानस सम्मेलन के संयोजक एवं विद्वान डाॅ0 रामबाबू पाठक ने कहा कि रामभक्ति के बिना सत्संग भी प्राप्त नहीं होता है। श्रीराम-हनुमान के प्रथम मिलन की चर्चा करते हुए डाॅ0 पाठक ने कहा कि मानस के प्रमुख आचार्य हनुमान हैं। सीता हरण के बाद श्री राम लक्ष्मण उनकी खोज में बन में भटक रहे हैं। उसी समय हनुमान ब्राह्मण भेष में श्रीराम से मिले। वनबासी भेष में श्रीराम ने भाई लक्ष्मण के साथ उन्हें बताया कि वह अयोध्या के क्षत्रिय राजकुमार हैं, और अपने पिता दशरथ के आदेश से वह भाई लक्ष्मण व भार्या सीता के साथ बन में आए हैं।
सीता को किसी ने चुरा लिया है हम दोनो भाई सीता को ढूंढ रहे हैं। श्रीराम प्रभु को पहचानकर हनुमान उनके चरणों मंे गिर पड़े। श्री राम ने हनुमान का परिचय पूंछा तो हनुमान ने कहा कि मैं जीव हूं और आप तीनों लोकों के स्वामी हैं मैं सेवक हूं आप मेरे स्वामी हैं, यही मेरा परिचय है। श्रीराम ने इस पर हनुमान को गले से लगा लिया। हनुमान को अपना सेवक व लक्ष्मण को अपने छोटे भाई का दर्जा दिया। हनुमान ने ही लक्ष्मण के प्राण बचाए, तथा श्रीराम व माता सीता की सहायता की।
सूर्य पूजन में दिवाकर लाल अग्निहोत्री, अशोक रस्तोगी, अरूण प्रकाश तिवारी, राधेश्याम गर्ग, वीके सिंह, अजय कृष्ण गुप्ता, आलोक गौड़, नरेन्द्र गुप्ता, रजनी लौंगानी, मधु गौड़, सुरेन्द्र सफ्फड़, सुजीत पाठक बंटू, अपूर्व पाठक, महेश चन्द्र शुक्ल,छबिनाथ सिंह सहित काफी मानस प्रेमी मौजूद रहे।