नईदिल्ली: मिशन 2019 को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए केंद्रीय मंत्रिपरिषद के तीसरे विस्तार में चार कैबिनेट मंत्रियों के साथ नौ नए राज्यमंत्रियों को शामिल किया गया है। चारों नए कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल व निर्मला सीतारमन को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार से पदोन्नत किया गया है। विस्तार के बाद मोदी सरकार में मंत्रियों की संख्या 76 पहुंच गई है जिसमें 28 कैबिनेट मंत्री हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल में यह पहला शपथ ग्रहण कार्यक्रम था। शपथ ग्रहण समारोह में सबसे पहले पदोन्नत कर केंद्रीय मंत्री बनाए गए धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमन ने शपथ ली। इसके बाद नौ राज्य मंत्रियों शिव प्रताप शुक्ल, अश्विनी कुमार चौबे, वीरेंद्रे कुमार, अनंत कुमार हेगड़े, राजकुमार सिंह, हरदीप सिंह पुरी, गजेंद्र सिंह शेखावत, सत्यपाल सिंह व अल्फोंस के जे को शपथ दिलाई गई। समारोह में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, भाजपा महासचिव रामलाल समेत कई केंद्रीय मंत्री व प्रमुख नेता मौजूद थे।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों की तैयारी
मंत्रिपरिषद विस्तार में साफ तौर पर आगामी विधानसभा चुनावों व लोकसभा की तैयारी दिखाई दी। उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा तीन मंत्री (नए दो) बने हैं। मुख्तार अब्बास नकवी अब कैबिनेट मंत्री बने हैं जबकि सत्यापाल सिंह व शिव प्रकाश शुक्ल राज्यमंत्री बने हैं। संजीव बालियान की जगह सत्यपाल सिंह को लाकर जाट राजनीति का संतुलन बनाया गया है, जबकि कलराज मिश्र की जगह शुक्ल को लाकर ब्राह्मण वर्ग का कोटा बरकरार रखा गया है।
रणनीति के साथ संतुलन की राजनीति
गोरखपुर से आने वाले शिव प्रताप शुक्ल आम तौर पर पार्टी में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के विरोधी माने जाते हैं। उनके आने से गोरखपुर की पार्टी राजनीति में संतुलन बनाया गया है। इसी तरह बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह के जरिए रालोद नेता अजित सिंह की चुनौतियां बढ़ाई गई हैं। इसे उत्तर प्रदेश में 2019 की चुनाव की रणनीति से भी देखा जा रहा है।
बिहार में बिठाया गया अंदरूनी संतुलन
केंद्र सरकार में बिहार से वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार चौबे और पूर्व केंद्रीय गृह सचिव राज कुमार सिंह को शामिल किया गया है। प्रदेश की राजनीति में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के विरोधी खेमे के नेता चौबे को केंद्र में लाकर संतुलन बनाया गया है। वे राज्य से केंद्र में पहले ब्राह्मण मंत्री हैं। राजीव प्रताप रूड़ी की जगह राजकुमार सिंह को लाकर जातीय संतुलन बरकरार रखा गया है।
विधानसभा चुनावों को देखते बनाया गया मंत्री
लोकसभा से पहले होने वाले कर्नाटक, मध्य प्रदेश व राजस्थान के विधानसभा चुनावों को देखते हुए मध्य प्रदेश से नए दलित चेहरे वीरेंद्र सिंह को सरकार में शामिल किया गया है। राज्य से आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते से इस्तीफा लिया गया है। थावरचंद गहलोत के बाद वे प्रदेश से दूसरे दलित मंत्री हैं। राजस्थान में जेधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को लिया गया है। राजपूत समुदाय से आने वाले शेखावत के नाते से विधानसभा चुनाव के समीकरण भी साधे गए हैं। कर्नाटक में भी आगले साल चुनाव होने हैं। ऐसे में उत्तर कर्नाटक से बाहुबली व तेजतर्रार माने जाने वाले अनंत हेगड़े को सरकार में शामिल किया गया है।
हरदीप भाजपा के सिख मंत्री, अल्फोंस से केरल पर निशाना
गैर सांसद मंत्री बनने वाले हरदीप पुरी वैसे पंजाब से हैं और भाजपा से आने वाले पहले सिख मंत्री है। हालांकि उनका उपयोग सरकार के प्रशासनिक कामकाज को बेहतर करने में किया जाएगा। अल्फोंस के जे केरल से हैं जो भाजपा के लिए मिशन 2019 के लिए नए लक्ष्य वाला राज्य है। इन दोनों को राज्यसभा के जरिए लाया जाएगा। वेंकैया नायडू के उप राष्ट्रपति बनने व मनोहर पारीकर के मुख्यमंत्री बनने के बाद जल्द ही दोनों राज्यसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं।
चुनावी मिशन संभालेंगे चारों नए कैबिनेट मंत्री
राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार से कैबिनेट मंत्री बनाए गए चारों मंत्रियों का संगठन के चुनावी कामकाज में उपयोग किया जाएगा। इनको संगठन में लाए बिना संगठन को मजबूत किया जाएगा। प्रधान की पदोन्नति भाजपा के मिशन ओडिशा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
सहयोगी दलों के लिए जगह बाकी
विस्तार में केवल भाजपा के मंत्रियों को ही शामिल किया गया है। मंत्रि परिषद में संविधान के मुताबिक अधिकतम 81 मंत्री हो सकते हैं। इस तरह अभी भी पांच और मंत्री बनाए जा सकते है। भविष्य में जद (यू) से दो, अन्नाद्रमुक से एक व शिवसेना से एक मंत्री को शामिल करने का विकल्प खुला है।