जिस धूम धड़ाके से मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी शुरू हुई थी वह अब ठंडी पड़ती जा रही है। ग्राहक अपने ऑपरेटर बदलने के लिए दौड़ लगा रहे हैं लेकिन बात नहीं बन रही है। ग्राहकों की शिकायत है कि वे अपने ऑपरेटर बदल चाहते हैं लेकिन उनकी पुरानी कंपनी उन्हें मौका नहीं दे रही है।
ज्यादातर मामलों में वे उनके रिक्वेस्ट पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। कई ग्राहकों ने शिकायत की है कि उनके भेजे एसएमएस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कुछ मामलों में तो कंपनियां यह कह कर पल्ला झाड़ रही हैं कि उनका सर्वर डाउन है या फिर वे तकनीकी खराबी का बहाना बना रही हैं। एक बड़ी कंपनी के उपभोक्ताओं का कहना है कि वह जानबूझकर नंबर पोर्टेबिलिटी नहीं होने दे रही है।
उधर देश के दूसरे बड़े मोबाइल फोन ऑपरेटर वोडाफोन ने आरोप लगाया है कि उसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनियां जानबूझकर उपभोक्ताओं के आग्रह को नहीं मान रही हैं। वे ग्राहकों को उसके यहां नहीं आने दे रही हैं। उनसे कहा जा रहा है कि उन्हें यूनिक पोर्टिंग कोड नहीं मिल पा रहा है।
रिलायंस कम्युनिकेशंस का कहना है कि उसे वोडाफोन और एयरटेल के ग्राहकों से शिकायतें मिल रही हैं कि उनके ऑपरेटर उन्हें छोड़ नहीं रहे हैं। उनके एसएमएस स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं।उधर एयरटेल ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि हम पर आधारहीन आरोप लगाए जा रहे हैं। हमारे सामने कुछ तकनीकी मामले जरूर हैं लेकिन उनका समाधान निकाल लिया जाएगा।
सेलुलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज ने कहा कि जिस देश में 70 करोड़ मोबाइल धारक हों वहां ऐसे मामले आ सकते हैं। शुरू में इसमें परेशानियां आ सकती हैं। लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।