पैर किसके, क्यों और कब छुएं?

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सामान्यत अधिकांश लोग घर के बड़े-बुजूर्ग, संत-महात्मा, वृद्ध आदि के पैर अवश्य छुते हैं। पैर छुने की परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है। इस परंपरा के पीछे कई कारण मौजूद हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि बड़े लोगों के पैर छुने से हमारे पुण्य में बढ़ोतरी होती है। साथ ही उनके आशीर्वाद स्वरूप हमारा दुर्भाग्य दूर होता है और मन को शांति मिलती है।
पैर छुना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है।

यह एक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। पैर छुने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि अनजाने ही कई बातें हमारे अंदर उतर जाती है। पैर छुने का सबसे बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह से पैर छुए जाते हैं। पहले झुककर पैर छुना, दूसरा घुटने के बल बैठकर तथा तीसरा साष्टांग प्रणाम। झुककर पैर छुने से कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है।

दूसरी विधि में हमारे सारे जोड़ों को मोड़ा जाता है, जिससे उनमें होने वाले स्ट्रेस से राहत मिलती है, तीसरी विधि में सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है। इसके अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। किसी के पैर छुना यानी उसके प्रति समर्पण भाव जगाना, जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वत: ही खत्म होता है। इसलिए बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया।

किसी भी कार्य की शुरूआत के पहले हमें घर के बड़े-बुजूर्ग, माता-पिता के चरण स्पर्श अवश्य करने चाहिए। इससे कार्य में सफलता प्राप्त होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है हमारा मनोबल बढ़ता है।पैर किसके, क्यों और कब छुएं?
सामान्यत: हम सभी घर के बड़े-बुजूर्ग, संत-महात्मा, वृद्ध आदि के पैर अवश्य छुते हैं। पैर छुने की परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है। इस परंपरा के पीछे कई कारण मौजूद हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि बड़े लोगों के पैर छुने से हमारे पुण्य में बढ़ोतरी होती है। साथ ही उनके आशीर्वाद स्वरूप हमारा दुर्भाग्य दूर होता है और मन को शांति मिलती है।
पैर छुना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है।

यह एक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। पैर छुने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि अनजाने ही कई बातें हमारे अंदर उतर जाती है। पैर छुने का सबसे बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह से पैर छुए जाते हैं। पहले झुककर पैर छुना, दूसरा घुटने के बल बैठकर तथा तीसरा साष्टांग प्रणाम। झुककर पैर छुने से कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है। दूसरी विधि में हमारे सारे जोड़ों को मोड़ा जाता है, जिससे उनमें होने वाले स्ट्रेस से राहत मिलती है, तीसरी विधि में सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है।

इसके अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। किसी के पैर छुना यानी उसके प्रति समर्पण भाव जगाना, जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वत: ही खत्म होता है। इसलिए बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया।

किसी भी कार्य की शुरूआत के पहले हमें घर के बड़े-बुजूर्ग, माता-पिता के चरण स्पर्श अवश्य करने चाहिए। इससे कार्य में सफलता प्राप्त होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है हमारा मनोबल बढ़ता है।