फर्रुखाबाद: बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर तथागत बुद्ध विहार गंगा दरवाजा अखिल भारतीय अनुसूचित जाति, जनजाति कर्मचारी कल्याण संघ के तत्वाधान में गोष्ठी आयोजित की गई| जिसमें प्रांतीय उपाध्यक्ष नानक चंद ने बोलते हुए कहा तथागत बुद्ध का वैशाखी पूर्णिमा को जन्म ,बोधित्व व निर्वाण प्राप्त हुआ जो एक दिन विश्व में किसी को प्राप्त आज नही हुआ।
बुद्ध का धम्म जो पाली भाषा में धर्म है जिसमें आडंबर वाद नहीं है बल्कि विज्ञान पर आधारित मस्तिष्क में सत्य को सत्य मानने वाला धम्म है, उन्होंने कहा बुद्ध की पंचशील आधारित विचारधारा पूरे विश्व के सभी देशों के संविधान में विद्यमान है| उन्होंने कहा कि बुद्ध के पंचशील को मानव अपनें जीवन में उतार कर सुख शांति के रास्ते पर चलने की सलाह दी । पूर्व जिलाध्यक्ष सत्यपाल ने कहा कि तथागत बुद्ध ने आर्यसत्य सिद्ध किया जिसमें दुख है तो दुख का कारण और उसका निवारण भी है तथा चौथा मार्ग चलने का बताया जिसमें दो आदतों से बचने की भी बात कही है एक कामरोग यानी भोग बिलास लालसा से दूर रहने व शरीर को ज्यादा सुख और ज्यादा कष्ट न देकर मध्यम मार्ग अपना कर मनुष्य मन को स्वस़्थ रख कर अच्छे बुरे का जीवन में सही निर्माण लेने में सक्षम होगा।
इस दौरान आशाराम बौद्ध ने कहा इस संसार में जो भी चीज है तो अनित्य है सारे संसार की रचना पदार्थ और ऊर्जा से हुई है पहले अनुभव आया अनुभव से सीखा उसके बाद फिर वस्तु विनियम आया । पाषाण युग से पहले आडम्बर नही था । सत्य को सत्य स्वीकार करने से विकार दूर हो जाते हैं यही दुख का निवारण है । इस अवसर पर परशुराम बौद्ध ने तथागत बुद्ध ,डॉक्टर आंबेडकर पर विस्तृत चर्चा की । अजय भारती, सुभाष चंद्र, रमेश चंद्र ने बुद्व पर विस्तृत जानकारी देकर लोगों को बुद्ध और अंबेडकर के विचारों को अपने जीवन में अनुसरण करने की सलाह दी। जी आर गौतम ,देवानंद ,विनय प्रताप ,राजीव कुमार ,मानिकचंद आदि मौजूद रहे|