फर्रुखाबाद: फतेहगढ़ में ब्राह्माण समाज के तत्वावधान में भगवान परशुराम की जयंती धूमधाम से मनायी गयी। शोभायात्रा में भगवान परशुराम कि झांकी भी निकली| जिसके दर्शन के लिये भीड़ उमड़ी| वही शहर के बद्री विशाल कालेज में जन्मोत्सव पर महाअभिषेक का आयोजन हुआ|परशुराम जयंती पर शोभायात्रा सभासद रवीश द्विवेदी के निवास एलआईसी तिराहे से शुरू हुई| जंहा परंपरागत तरीके से पूजन हुआ। तदोपरांत विशाल शोभायात्रा को समाज के वयोवृद्ध लोगो ने रवाना किया। ध्वनि विस्तारक यंत्रों एवं बैंड की धुनों पर समाज के युवा थिरकते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा में भगवान परशुराम के स्वरूप की झांकी थी। धूमधाम से निकली शोभायात्रा का बीजेपी नेता मोहन अग्रवाल ने फ़तेहगढ़ चौराहे के निकट स्वागत किया| मोहन कि तरफ से शीतल जल की व्यवस्था कि गयी थी| जो शोभायात्रा के आगे आगे चल रहा था| शोभायात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा के साथ स्वागत हुआ| शोभायात्रा भोलेपुर में समाप्त हुई| इस दौरान डॉ० अनुपम दुबे, रवीश द्विवेदी, भाष्कर दत्त , आयोजक प्रदीप शुक्ल, राहुल जैन,शिवम् दुबे, गुंजन अग्निहोत्री, रानू दीक्षित, कौशिक शुक्ला, रिशु दीक्षित, शरद शुक्ला आदि मौजूद रहे|
जन्मोत्सव पर महाअभिषेक
ब्राह्मण महासंघ कि तरफ बद्री विशाल डिग्री कालेज में महाअभिषेक का आयोजन किया गया| सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने प्रतिमा का पूजन किया| कार्यक्रम में हवन और महाआरती के साथ ही साथ भगवान परशुराम का अभिषेक किया गया| आचार्य प्रदीप नारायण शुक्ल ने वैदिक कार्यक्रम सम्पन्न कराया| कमेटी ने विधायक को पगड़ी और फरसा भेट किया| दण्डी स्वामी शिवानन्द सरस्वती को भी सम्मानित किया गया| अरुण प्रकाश तिवारी ददुआ, रामजी वाजपेयीअखिलेश अग्निहोत्री, नारायण दत्त द्विवेदी अतुल मिश्रा, विक्रांत अवस्थी,शुभम तिवारी,आदित्य दीक्षित आदि मौजूद रहे |
परशुराम जयन्ती पर गोष्ठी
कायमगंज: विश्व बंधु परिषद द्वारा परशुराम जयन्ती पर एक गोष्ठी कृष्णा प्रेस परिसर में आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता करते हुए प्रो0रामबाबू मिश्रा ने कहा कि परशुराम शस्त्र,शास्त्र,ज्ञान, पराक्रम,सन्तत्व और तेजस्वता के अनोखे समागम थे। त्वरित और कठोर निर्णय लेना उनकी विशेषता थी। राष्ट्रकवि दिनकर ने इन्हें भारत के भविष्य का पुरूष बताया था। चारों ओर संकटों से घिरे भारत राष्ट्र को आज उन जैसे राष्ट्रनायक की जरूरत है। अहिवरन सिंह गौर ने कहा कि वे किसी वर्ग के खिलाफ न होकर अन्याय और अत्याचार के विरोधी थे। वे अपने दौर के सूर्य थे। गोष्ठी में आर के दुबे,शिवकुमार दुबे आदि ने भी विचार व्यक्त किये।