दिल्ली: उत्तर प्रदेश में आज से योगी राज की शुरुआत होगी. आज योगी आदित्यनाथ की देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री के तौर पर ताजपोशी होगी. सीएम बनने पर उनके पूरे गांव और परिवार में खुशी का माहौल है. आदित्यनाथ ने 21 साल की उम्र में ही परिवार छोड़ दिया था और वो गोरखपुर आ गए थे. उनके पिता 24 साल पहले उत्तराखंड के एक गांव से संन्यास की दीक्षा लेने वाले बेटे को मनाने आए थे, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा. मां मायूस हो गई, लेकिन बेटे के लिए लगातार दुआएं मांगती रही. आज वो संन्यासी बेटा सीएम बनने जा रहा है तो घर ही नहीं पूरा गांव जश्न मना रहा है|
संन्यास लेने के बाद बेटे का नाम बदल गया और ठिकाना भी बदल गया. उत्तराखंड के पंचुर गांव का अजय सिंह बिष्ट आज सत्ता के शीर्ष पर पहुंच चुका है. बहुत बड़ी जिम्मेदारी संभालने जा रहा है. खुशी इतनी है कि मां संन्यासी बेटे की तस्वीर को गोद में लिए बैठी है और उसकी कामयाबी की खुशी पिता की आंखो में छलक रही है| योगी के बड़े भाई बड़े गौरव से भाई अजय के बारे में बात करते हैं, उनके बारे में बताते हैं. योगी के पिता आनंद सिंह बिष्ट का कहना है कि यूपी में गुंडाराज खत्म होना चाहिए और सबका साथ सबका विकास होना चाहिए. उम्मीद ये भी है कि उनके गांव में मौजूद बाबा गोरखनाथ डिग्री कॉलेज का अब उद्धार हो जाएगा और वो अब सरकारी कॉलेज बन जाएगा|
26 साल की उम्र में बने थे सांसद, जानें योगी आदित्यनाथ की पूरी कहानी
उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले योगी चार भाई और तीन बहनों में दूसरे नंबर के भाई हैं. उनके दो भाई कॉलेज में नौकरी करते हैं, जबकि एक भाई सेना की गढ़वाल रेजिमेंट में सूबेदार हैं. योगी आदित्यनाथ पौड़ी गढवाल के इस गांव से संन्यास और राजनीति का लंबा सफर तय कर चुके हैं| आज जब लखनऊ के स्मृति उपवन में हजारों लोगों की मौजूदगी में भव्य समारोह के बीच योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे होंगे, तब पंचुर में मां सावित्री देवी अपने संन्यासी बेटे के लिए आंचल भर के दुआएं दे रही होंगी|
योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है. योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले एक छोटे से गांव पंचूर में हुआ, उनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट हैं जो गांव में रहते हैं. सीएम बनाने के ऐलान के बाद आजतक ने योगी आदित्यनाथ ऊर्फ अजय सिंह नेगी के भाई महेंद्र सिंह बिष्ट से बात की. उन्होंने कहा कि आदित्यनाथ में बचपन से सेवा भावना थी. हालांकि, उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वे सीएम पद तक पहुंचेंगे. महेंद्र सिंह ने कहा कि कि वह हमेशा से ही समाजसेवा की भावना थी और उसी दिशा में आगे बढ़े हैं. उनके भाई बोले कि योगी ने 1993 में गोरखपुर चले गए 21 साल में छोड़ दिया था|