फर्रुखाबाद: (कंपिल) अच्छे दिनों के सपने दिखाने वाली सरकार हर आने वाले दिन में ग्रामीणों के लिए एक समस्या बनकर उभर रही है। भले ही सरकार उसके पीछे अपना बहुत बड़ा प्रोजेक्ट संजो रही हो जोकि विकास के पथ पर अग्रसर हो लेकिन वर्तमान में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मोदी के कैश लैश और डिजिटल इंडिया का पूरा फर्क जरूरतमंद ग्रामीणों पर उस समय देखने को मिल रहा है जब उन्हें बैंकों के एक-एक सप्ताह तक चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
नोटबंदी के बाद अब एक बार फिर बैंकों में नगद रुपयों के लिए मारामारी शुरू हो गयी है। जिसका मुख्य कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश परिवारों में शादी समारोह है। जिससे लोगों को रुपयों की सख्त जरूरत है। वहीं लैश कैश प्रोजेक्ट के तहत बैंकों को रुपये कम मिल पा रहे हैं। जिससे अब ग्रामीणों की जरूरत भर का रुपया बैंकें नहीं दे पा रही है। कंपिल कस्बे में स्थित बैंक आफ इण्डिया की बैंक में अधिकांश ग्रामीणों के खाता हैं। लेकिन यहां पर पिछले सात दिनों से लोग अपने रुपये लेने के लिए बैंक के चक्कर काट रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें पर्याप्त रुपये नहीं मिल पा रहे हैं। बैंक द्वारा जो भी रुपये बांटे जाते हैं वह 5 हजार रुपये प्रति खाताधारक दिये जा रहे हैं। जिससे जिस घर में शादी समारोह इत्यादि है उनकी जरूरत किसी भी तरह से पूरी नहीं हो पा रही है।
यही हाल अन्य बैंकों का भी है। बैंक आफ इण्डिया के कैशियर का कहना है कि ऊपर से जब रुपया आ ही नहीं रहा है तो वह कहां से बांट दें। बुधवार को मात्र 4 लाख रुपये बैंक में हैं वह बांट दिये जायेंगे। इसके अलावा क्षेत्र में मात्र एक पेट्रोलपम्प है। जिससे भी कितनी नगदी आ सकती है। फिलहाल जो भी हो ग्रामीण नोटबंदी, लेस कैश, डिजिटल इंण्डिया के चक्कर में चकरघिन्नी बना हुआ है और सरकार उस पर एक के बाद एक फरमान जारी किये जा रहा है।