लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अक्सर चुनावी सभा में मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की तीखी आलोचना के लिए खजांची नामक नवजात का खूब जिक्र करते हैं| यह वही खजांची है, जो बैंक लाइन में खड़ी अपनी मां के पेट से पैदा हुआ था|
हालांकि, जिस खजांची के नाम और उसको दो लाख रुपए मदद का इस्तेमाल कर अखिलेश सरकार वाहवाही लूट रही है, वह पैसा अब तक उस गरीब परिवार के पास नहीं पहुंचा है| आज भी वह परिवार करीब डेढ़ महीने से बैंक का धक्का खा रहा है, लेकिन नोटों की एक झलक नहीं पा सका है| ढाई महीने का खजांची अभी बोल नहीं पाता है| उसे यह भी नहीं पता कि उसके नाम का इस्तेमाल कर राजनेता अपनी छवि चमका रहे हैं| उसकी मां ने अपने बेटे के पैदा होने पर खुद को खुशकिस्मत समझा था. वजह भी सही थी कि बेटे ने पैदा होते ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से ‘असंभव’ मुलाकात करा दी और साथ में दो लाख रुपए का चेक भी दिलवा दिया|
वह 2 दिसंबर की तारीख थी| पांच बच्चों की मां 35 साल की सर्वेशा गर्भावस्था के अंतिम दिनों में थी. बैंक उनके घर से तीन किलोमीटर दूर था| ऐसे में इस दूरी को कानपुर के मंगलपुर थाना में सरदारपुरवा गांव की सर्वेशा ने अपनी सास शशि देवी के साथ पैदल तय किया था| करीब एक घंटे पैदल चलने के बाद वह लोहिया आवास की पहली किश्त लेने पंजाब नेशनल बैंक पहुंची| जब वह लाइन में लगी थी, तभी सर्वेशा के पेट में जोर से दर्द उठा. बैंक परिसर में ही दूसरी महिलाओं ने उसे लिटा दिया| थोड़ी देर बाद उसने बच्चे को जन्म दिया. उस बच्चे का नाम खजांची रखा गया, जो आज यूपी चुनाव में चर्चित चेहरा बन चुका है|
खजांची की दादी ने बताया, ‘हमें पैसों की बेहद जरूरत थे. ऐसे में उस दिन सुबह 9 बजे हमलोग बैंक की कतार में लगने के लिए घर से निकलें. 10 बजे के आसपास बैंक पहुंचे और कतार में लग गए. 12 बजे के करीब मेरी बहू के पेट में दर्द शुरू होना गया| हमने बैंक अधिकारियों से गुजारिश की मेरी बहू के पेट में दर्द हो रहा है. उसे बच्चा होना वाला है| हमें जल्दी से पैसे दिलवा दीजिए…लेकिन उन्होंने हमारी एक भी बात नहीं मानी. ऐसे में हम लाइन में खड़े रहे| चार बजे के करीब बच्चे ने जन्म लिया…तब जाकर वे (बैंक अधिकारी) हमारे हाथ में अंगूठा लगा गए और पैसे दे गए| थाने से पुलिस आई और इसके बाद जाकर वह गाड़ी में हमें सुरक्षित घर ले गए. गांव के प्रधान गुड्डू सिंह ने इस नवजात का नाम खजांची रखा| जब उनसे यह पूछा गया कि भला अखिलेश यादव अपनी चुनावी सभाओं में खचांची का नाम क्यों लेते हैं, इस महिला ने कहा कि मुख्यमंत्री साहब ने उन्हें मिलने के लिए लखनऊ बुलाया था| वहां हमें दो लाख रुपए का चेक मिला, लेकिन वह डीएम के नाम था. ऐसे में हमें डीएम के पास जाना पड़ा. फिर डीएम ने उस चेक को हमारे नाम किया| हमने चेक को करीब डेढ़ महीने पहले जमा किया था, लेकिन आज तक पैसे नहीं मिले. बैंक जा-जाकर थक गए, लेकिन अब तक हाथ में पैसे नहीं आए|
खजांची की मां सर्वेशा ने भी कहा, ‘कतार में खड़ा होते वक्त मुझे काफी पीड़ा हो रही थी. मैंने बैंकवालों से कई बार पैसे देने को कहा, लेकिन मेरी बात नहीं मानी. जब बच्चा पैदा हो गया तो वे 20 हजार रुपए दे गए| अखिलेश सरकार की तरफ से हमें दो लाख रुपए का चेक मिला था, लेकिन आज तक वो पैसे नहीं मिले.’गौरतलब है कि सर्वेशा का परिवार बैगा नामक जनजाति से आता है. यह जनजाति देश के सबसे गरीब और वंचित समुदायों में एक है. उसका पति संपेरा था| पिछले साल अगस्त में टीबी से उसकी मौत हो गई थी| अब सर्वेशा किसी तरह जिंदगी गुजर-बसर कर रही है. खजांची के जन्म के बाद उसे दो लाख रुपए से बड़ी उम्मीद थी, लेकिन वह भी अब खत्म होती नजर आ रही है|