दिल्ली: वित्त मंत्री ने अपने बजट में टैक्स देने वाले मध्यम वर्ग को खुश कर दिया है| नए टैक्स नियमों के तहत अब 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय वालों पर सिर्फ 5 परसेंट टैक्स लगेगा. इसके अलावा तीन लाख रूपए तक की आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना होगा|
वित्त मंत्री ने अपने बजट में टैक्स देने वाले मध्यम वर्ग को खुश कर दिया है. नए टैक्स नियमों के तहत अब 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय वालों पर सिर्फ 5 परसेंट टैक्स लगेगा. इसके अलावा तीन लाख रूपए तक की आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना होगा| नए नियमों के तहत पांच लाख रूपए तक की आय वाले अगर इनकम टैक्स एक्ट के तहत निवेश करते हैं तो पूरी आय इनकम टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएगी. इस तरह पांच लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. पांच लाख तक की आय वालों का टैक्स आधा हो जाएगा. इससे ज्यादा वाले सभी स्लैब में 12500 रूपए का फायदा होगा|
50 लाख से एक करोड़ रुपए की आय वालों पर दस परसेंट अतिरिक्त सरचार्ज लगेगा. पांच लाख तक की आय वालों को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय सिर्फ एक पेज का फॉर्म भरना होगा. पहली बार रिटर्न भरने वालों को एक साल तक स्क्रूटिनी से छूट मिलेगी| वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 2017-18 का बजट पेश करते हुए कहा टैक्स टू जीडीपी अनुपात बहुत कम है. प्रत्यक्ष कर सही तस्वीर पेश नहीं करता. साढ़े चार करोड़ सैलरी पाने वाले हैं लेकिन टैक्स देने वाले एक करोड़ के आस-पास हैं. 13 लाख कंपनियां रजिस्टर्ड हैं. लेकिन रिटर्न लगभग 5.7 लाख कंपनियों ने ही दाखिल किया है. तीन लाख कंपनियों ने तो कोई आय या मुनाफा दिखाया ही नहीं. सिर्फ 7 हजार कंपनियों ने दस करोड़ से ज्यादा का मुनाफा बताया|
यही हालत व्यक्तिगत इनकम टैक्स रिटर्न के मामले में है. 76 लाख लोग 5 लाख से ज्यादा आय बताते हैं. इसमें 56 लाख लोग सैलरी वाले हैं. सिर्फ पौने दो लाख लोग 50 लाख से ज्यादा आय दिखाते हैं. जबकि सिर्फ पिछले साल करोड़ों की संख्या में कार बेचे गए| विदेश जाने वाले दो करोड़ से ज्यादा. इससे पता चलता है कि हम टैक्स नहीं देना चाहते| जो टैक्स नहीं देना चाहते उनका बोझ टैक्स देने वालों के कंधों पर आता है| नोटबंदी के बाद डाटा से कुछ खुलासे हुए हैं| नोटबंदी के बाद डेढ़ लाख खातों में 80 लाख से ज्यादा पैसे जमा किए गए. इससे ऐसे लोगों का पता चलेगा जो टैक्स दायरे से बाहर हैं|