फर्रुखाबाद: इस्लाम के संस्थापक पैगम्बर मोहम्मद साहब का जन्म दिन ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के नाम से मनाया जाता है। रबीउल अव्वल महीने की 12वीं तारीख को पैगम्बर मोहम्मद सल्ल्लाह-ओ- वसल्लम का जन्म दिन मनाया जाता है। जिसके चलते निकाले गये जुलूस ए माेहम्मदी में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे| जुलूसे मोहम्मदी में हाथों में झंडे और सिर पर हरी पगड़ियां बांधे नबी के दीवानों का सैलाब उमड़ा तो हर तरफ से ‘सरकार की आमद है, मरहबा-मरहबा’ सदाएं बुलंद होती रहीं। जुलूस के दौरान तकरीर में नबी के बताए रास्ते पर अमल व भाईचारे का पैगाम दिया गया।
सरकार की आमद पर जिले भर में 12 रबीउल अव्वल तारीख को जुलूस निकाल कर दुआओं का दौर चलता रहा। शहर में निकाले गये जुलूस को काजी जी की मस्जिद रकाबगंज टाउन हाल से 12 रबीउल अव्वल के जुलूस की शूरुआत की गयी| जिसके बाद जुलूस पक्का पुल, चौक, घुमना तिराहे से होते हुये अंजुमन स्कूल में दाखिल हुआ उसके बड़ा उसमे जलसे का आयोजन भी किया गया| जुलूस में जिसमे विभिन्य प्रकार की झांकी भी शामिल की गयी जिसका जगह-जगह स्वागत किया गया| नगर व्यापार मंडल, श्रीराम विविध कला केंद्र, युवा नगर व्यापार मंडल ने भी स्वागत किया| जुलूस में शहर के अलग-अलग मोहल्लो से आये मुस्लिम मोहल्लों को सजाया गया।जुलूस में मरकज़ी गाढ़ी पर कारी फसीह मुजीबी व् शहर क़ाज़ी मुताहिर अली ने खिताब किया। जुलूस में मुस्लिम समाज के सैकड़ो लोगो ने भाग लिया।एएसपी अशोक कुमार, सीओ आलोक कुमार आदि फ़ोर्स के साथ डटे रहे|
शमसाबाद मोहल्ला इमली दरवाजा से जुलूसे मोहम्मदी शुरू हुआ। कस्बा के मुख्य मार्गों से होते हुए जुलूस कोट वाली मस्जिद तक पहुंचा। जुलूस के साथ ट्रैक्टर-ट्राली पर चल रहे मौलाना जफर अहमद कासमी ने तकरीर की व नात पेश कीं। पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष नदीम अहमद फरुकी, इजहार खां, सरवर अंसारी, रामस्वरूप गौतम, खुशहाल मियां आदि मौजूद रहे।
नवाबगंज क्षेत्र के ग्राम नया गनीपुर से ईद मीलादुन्नबी पर जुलूसे मोहम्मदी निकाला गया। जुलूस के आगे बाइकों व ट्रैक्टरों पर सवार युवक नारे तकबीर अल्लाहो अकबर के नारे लगाते चल रहे थे। कस्बा में मुख्य बाजार में गश्त के दौरान गोंडा से आए मुफ्ती साहब के अलावा मौलाना तौहीद, हाफिज सफी आदि ने जुलूस को खिताब किया। ब्लाक कार्यालय के सामने जुलूस का समापन हुआ। सदर वली मोहम्मद, साजिद अली, बन्ने खां, हाफिज लईक, मोहम्मद मोनिश, आफाक अली, शौकत, कल्लू खां आदि मौजूद रहे।
मोहम्मद साहब के बारे में जाने
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर मुस्लिम समुदाय जुलूस निकाल कर पैगम्बर मुहम्मद के बताए रास्ते पर अमल करने का संकल्प लेते हैं। पैगम्बर मोहम्मद सल्ल्लाह-ओ- वसल्लम का जन्म 571 ई. में मक्का में हुआ था। उन्हें 610 ई. में मक्का के पास हीरा नाम की गुफा में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। नौ वर्ष की उम्र में वह अपने चाचा के साथ व्यापार के लिए जाना शुरू कर दिए थे। इन यात्राओं के दौरान वे लोगों से मिलते और उनके विचारों से परिचित होते थे। 25 वर्ष की उम्र में उनकी शादी हुई। पैगंबर मोहम्मद साहब कभी अकेले नहीं खाते थे। वह पहले भोजन पर लोगों को आमंत्रित करके बुलाते। उसके बाद उनके साथ ही भोजन किया करते थे। समाज की भलाई के लिए मोहम्मद साहब लोगों को इस्लाम का उपदेश देने के साथ अल्लाह के संदेशों का जन-जन तक फैलाने लगे।