फर्रुखाबाद:(कंपिल) कस्बे के बैंक ऑफ़ इंडिया में बीते दो दिन से कैश नही है| जिससे आम जनता को परेशानी का सामान करना पड़ रहा है| नोट बंदी के लगभग चार हफ़्तों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी ग्रामीण अंचलों के बैंकों द्वारा भुगतान न किये जाने से लोगों की समस्यायें कम होने का नाम नहीं ले रही है| ग्रामीण अंचलों के बैंकों पर दलालों का कब्जा है, ग्राहक प्रतिदिन बैकों का परिक्रमा कर निराश होकर बैंक कर्मियों को खरी खोटी सुनाकर लौट जा रहे है| जबकि सरकार लोगों की समस्याओं के दूर करने के लिए रोज कोई न कोई नया आदेश पारित कर रही है.
शहरी क्षेत्रों के बैंकों में भीड़ कम दिखने से सरकार भले ही समझ ले कि लोगों की समस्याएं कम हुई है तो सरकार की बहुत बड़ी भूल है| गाँवो में नोट बंदी के लगभग चार हफ्ता बीत जाने के बाद भी पैसा के लिये हाहाकार मचा हुआ है| इसका प्रमुख कारण यह है कि गांव के अधिकांश लोगों के खाते पूर्वांचल ग्रामीण बैंक, डाक खाना, सहकारी बैंकों में है| दिन इन बैंकों से पैसा निकालना भगवान को प्राप्त करने के बराबर है| यही हाल क्षेत्र की बैंक ऑफ़ इंडिया का है जंहा लोग कई दिनों ने पैसा ना मिलने की शिकायत कर रहे है|
क्षेत्र के ग्राम सिकन्दरपुर तेहैया निवासी ओमप्यारी पत्नी देवजी व शशि पत्नी सदानंद का कहना है कि उसके घरो में कई समस्याएं है| शशि के पति का आपरेशन हुआ है| लेकिन इलाज के लिये रुपये नही है| खाद-बीज के लिये भी वह दो दिनों से लाइन में लगी है| लेकिन पैसा ना होने से उन्हें खाली ही लौटना पड़ रहा है| मौके पर मौजूद लोगो ने बताया कि बैंको में दलाल सक्रिय है| जो बिना लाइन के पैसा निकालते है उन्हें पुलिस नही रोकती| आम जनता सुबह से लेकर शाम तक लाइन में लगी रहती है| जब तक नम्बर आता है तब तक बोल दिया जाता है कि पैसा खत्म हो गया है| आरोप है कि वही दलालों को 24 हजार से भी जादा रकम दी जाती है|जबकि किसानो को केबल दो या चार हजार रुपये देकर टरका दिया जाता है|
मंगलवार को ग्राहक संजीब कुमार ने बैंक ऑफ़ इंडिया के शाखा प्रबन्धक अभिलाश सक्सेना पर सही से कार्य ना करने का आरोप लगाया| जिस पर पुलिस कमी ने रमेश कुमार ने उससे अभद्रता कर उसे बैंक के अन्दर ले गया| मौजूद लोगो का तो यह भी कहना है कि सिपाही रमेश कुमार इसी तरह लोगो से अभद्र व्यवहार करता है| बैंक प्रबन्धक ने बताया कि युवक ने उनसे गाली-गलौज किया था|
ग्रामीण बैंकों के अलावा डाक घरों तथा सहकारी बैंकों में पैसा के लिए कई दिनों से लाइन लगाकर देर शाम बैरंग वापस हो जा रहे है. रही सही कसर इन बैंकों के दलाल पूरा कर दे रहे. दलाल अपने चहेतों या पैसा लेकर देर रात लोगो को पेमेन्ट कर रहे हैं, इसमें बैंक कर्मियों की भी मिलीभगत है. बैंक कर्मचारी पैसा का हवाला देकर लोगो भुगतान नहीं कर रहे.