फर्रुखाबाद: जीवन में या समाज में उजियारा लाना है| तो एक दीपक जलाना होगा| आज में सामाजिक परिद्रश्य में जब हम चारो ओर घोर अँधेरे पाते है चाहे चाहे वह अँधेरा भ्रष्टाचार का हो अज्ञानता का हो अशिक्षा का हो चाहे आतंकवाद और नक्सलवाद का हो या मूलभूत सुविधाओं का हो तो हमे ऐसा लगता है कि हमे एक दीप जलाना होगा|
आज के परिद्रश्य में सामाजिक माहौल में अगर हम यह सोचे कि हमारे दीपक जलाने से क्या होगा तो अवश्य ही हम अपने साथ ही धोखा कर रहे है| हम सबको मिलाकर यह पुन्य कार्य करना होगा| और वह भी अपन दायित्व समझ कर| की एक हमे दीप जलाना है चाहे वह सफाई का हो या अशिक्षा का जब हम पूरे मनोयोग से यह तय कर लेते है की अब अँधेरा मिटाना है| तो इसकेलिये एक दीपक जलाना होगा|
परन्तु जब हम ज्ञान का दीपक जलाते है तो आत्मस्वरूप के सभी पहलू जाग्रत हो जाते है| जो ग्यानी हिया उनके लिये प्रति क्षण दीपाली है और अज्ञानी के लिये एक वर्ष में एक बार दीवाली आती है| कुछ लोगो में धैर्य होता है कुछ में प्रेम शक्ति, उदारता| अन्य लोगो मने सबको साथ मिलाकर चलने की क्षमता होती है| वही व्यक्ति एक नही हजारो दीपक जला सकता है| क्योंकि अज्ञान भ्रष्टाचार आतंकवाद के खिलाफ एक दीपक जलाना होगा| इस ज्योति को जलाकर ही हम इस अद्रश्य आसुरी शक्तियों का नाश कर सकते है| जब दीप जलेगा तभी अँधेरा मिटेगा| हम सब जब दीप जलाएंगे तो इस संसार में भारत को ज्योतिरमय दीपक बनने से कोई रोंक नही सकता है|
हमारे देश में आदि काल से ही दीप जलाने वाले महापुरुष अबतरण होते रहे है| आदि शंकराचार्य से लेकर आचार्य अरबिंद, विनोवाभावे, विवेक नन्द, पूज्य गुरु जी दिव्य मान हुये है जिन्होंने एक दीपक जलाया और पूरे विश्व को आलंकारित किया है| इन महापुरुषो से हम प्रेणना ले और एक दीपक जलाये| जिससे भारत का परचम पूरे विश्व में फैराये| जब भारत सशक्त होगा तभी विश्व में शांति सम्भव होगी| ( संजय तिवारी जिलाध्यक्ष शैक्षिक महसंघ)