लखनऊ:उत्तर प्रदेश की जनता भले ही गरीबी से बदहाल हो लेकिन सूबे की सरकार मालामाल है। ये हम नहीं बल्कि एक आरआटीआई में हुआ एक खुलासा कह रहा है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक यूपी की एसपी सरकार अपने छवि को बनाने के लिए दोनों हाथों से सरकारी खजाना लुटा रही है।
आरटीआई की जानकारी के मुताबिक यूपी सरकार साढ़े 4 सालों में अपने विज्ञापन पर 800 करोड़ से ज्यादा खर्च कर चुकी है। यही नहीं चुनावों को देखते हुए विज्ञापन बजट को 4 गुना और बढ़ा दिया गया है| आरटीआई की जानकारी के मुताबिक यूपी सरकार ने साढ़े 4 सालों में विज्ञापनों पर 800 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया।
एक आरटीआई में मिले जवाब के मुताबिक साल 2012-13 में सरकार ने टीवी और अखबार के विज्ञापन पर 84 करोड़ रुपए खर्च किए, वहीं साल 2013-14 में 89 करोड़ रुपए लगाए और साल 2014-15 में यह रकम बढ़ कर 104 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। इस वित्तीय साल में अब तक 224 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। सरकार ने सड़कों के किनारे होर्डिंग लगाने में भी करोड़ों फूंके डाले हैं, जिसमें साल 2013-14 में भी लगभग 2 करोड़, 2014-15 में 8 करोड़ और 2015-16 में 39 करोड़ खर्च किए गए। जबकि इस वित्तीय साल में 43 करोड़ का खर्च किए गए। आरटीआई एक्टिविस्ट भंवर पाल सिंह के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के गाइडलाइन के मुताबिक ऐसा नही कर सकते।
वहीं खुलासे के बाद सरकार का तर्क है कि सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार करना सरकार का फर्ज है, ताकि लोग उसका फायदा उठा सकें। सपा प्रवक्ता मोहम्मद शाहिद ने कहा कि सरकार विज्ञापन के जरिए ही लोगों तक पहुंच सकती है। केंद्र की योजना में तो इससे कई गुना ज्यादा खर्चा होता है। बीजेपी ने खुलासे के बाद सपा सरकार पर हमला बोला है। पार्टी प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि इससे जाहिर होता है कि सरकार ने काम कम किया है और बजट खर्च करने के लिए विज्ञापनों का सहारा लिया है। ये साफ तौर पर फिजूलखर्ची है। इसमें कार्यक्रमों के आयोजन पर हुए खर्चे को जोड़ लें तो पता चल जाएगा कि कितना काम हुआ है।
बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक विस्तृत गाइडलाइन तय की है कि जिसमें बताया गया है कि सरकार किस तरह से विज्ञापन पर पैसा खर्च करेगी। ये पैसा आम आदमी का होता है जिसका इस्तेमाल किसी नेता के महिमामंडन के लिए नहीं किया जा सकता। लेकिन हर सरकार इस आदेश की अनदेखी करने का कोई ना कोई रास्ता निकाल लेती है।