नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय प्रवासियों को समर्पित ‘प्रवासी भारतीय केंद्र’ के उद्घाटन समारोह में दुनिया को संदेश देते हुए कहा है कि भारत कभी जमीन का भूखा नहीं रहा है, हमने कभी आक्रमण का नहीं किया है। इसके बावजूद हमारे जवानों ने दूसरों के लिए बलिदान दिया है। प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा है कि इन दोनों युद्धों में हमारे 1.5 लाख से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। हमारी यह परंपरा है कि हमने दूसरों के लिए जान गंवाई है। बता दें कि पीएम मोदी ने आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ‘प्रवासी भारतीय केंद्र’ का उद्धाटन किया है।
समारोह के दौरान पीएम मोदी ने प्रवासी भारतीयों की उत्साहवर्धन भी किया। उन्होंने कहा कि अगर देश दुनियाभर में फैले 2.7 करोड़ प्रवासी भारतीयों को संख्या की बजाय एक ताकत के रूप में देखे तो ‘ब्रेन ड्रेन’ को ‘ब्रेन गेन’ में बदला जा सकता है। मोदी ने कहा कि विश्व अब पहले से कहीं ज्यादा भारत के साथ जुड़ने का इच्छुक है। और ऐसे समय में ‘अज्ञात का डर’ एक रुकावट बन सकता है। हमारे प्रवासी इसे दूर करने में मदद कर सकते हैं। उन्हें दुनिया को बस बताना होगा कि वह भारत से हैं। पीएम ने प्रवासियों से जुड़ने की जरूरत पर बल दिया और अपने पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी की प्रशंसा कि जिन्होंने प्रवासी भारतीय दिवस का विचार रखा था और यह तभी से जारी है।
प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की जरूरी बातें–
1- महात्मा गांधी जी देश छोड़कर चले गए थे, लेकिन देश की पुकार उन्हें स्वदेश वापस ले आई। उनका स्वेदश लौटना हर किसी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। इससे बड़ी कोई घटना नहीं हो सकती उनके लिए जो विदेशों में जाकर बसे हैं।
2- पूरे विश्व में भारतीय समुदाय फैला हुआ है। प्रवासी भारतीयों के चलते ही लोग देश के बाहर जा सके। प्रवासी भारतीयों ने मेहनत और अपने काम से अपनी छवि बनाई। वह आज मानवता के कल्याण में जुटे हैं। साथ ही प्राकृतिक आपदा में भी प्रवासी भारतीयों ने मदद की। प्रवासी ही देश की पहचान हैं। हमारे लिए जरुरी है कि अपने फैले हुए समुदाय से जुड़ें।
3- मानवता के मुद्दे पर भारत ने अपनी साख बनाई है। दुनिया के देश हमसे संपर्क करते हैं कि हमारे भी लोग वहां फंसे हैं। आप उनके लिए भी कुछ कीजिए। आज भारत को भी मानवता के मुद्दे पर विश्व ने स्वीकार किया।
4- विश्व भारत को देख रहा है। हमारा समुदाय दूसरे देशों में रहकर वहां के विकास के बारे में सोंचता है। हमने कभी सत्ता अपनाने की कोशिश नहीं की। अपनी संस्कृति को बनाए रखते हुए हमारे लोग उनमें घुलमिल जाते हैं।
5- हम विश्व को टूरिज्म में बहुत कुछ दे सकते हैं, यहां आकर प्रवासियों को लगेगा कि कोई तो अपना मिलेगा, घर जैसी भावना मिलेगी। विदेशों में भी लोग प्रोग्राम देख रहे हैं।
6- दुनिया योग से जुड़ रही है। समाज को भीतर से शांति देने के लिए योग एक उपाय है। योग के आभामंडल का विस्तार आवश्यक है। भारत में तेज गति से डायबिटीज बढ़ रहा है। मैंने योग से जुड़े लोगों से पूछा क्या योग के माध्यम से हम मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं? हमने एक पुस्तक का विमोचन किया है यह मददगार साबित होगी। महात्मा गांधी भी प्राकृतिक प्रद्धति से उपचार के पक्षधर थे।