कभी न भूलें ये पांच बातें…

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असल में धर्म इंसान को संयम और अनुशासन से रहना और जीना सिखाता है। जिससे व्यक्ति विशेष के साथ-साथ उसके आस-पास रहने वाले अन्य लोग भी सुख से जीवन बीता सके। किंतु सुख पाने की राह में कुछ ऐसी बातें जरूर ध्यान रखें जिनको भूलना आपको दु:खों की गहरी खाई में गिरा सकती है –

नास्तिकता – नास्तिक होना यानि धर्म और ईश्वर में अविश्वास करना। वहीं आध्यात्मिक या व्यावहारिक अर्थों में खुद पर भरोसा न करना भी नास्तिकता ही है। इस तरह धर्म या ईश्वर में अविश्वास आपको अशांत रखेगा और खुद पर भरोसा न करना मनोबल कमजोर कर देगा।

निर्दयता – दया को धर्म की जड़ कहा गया है। दूसरों के प्रति संवेदना और भावनाहीन होना ही निर्दयता है। यह अंतत: आपकी गहरी पीड़ा का कारण बनता है।

कृतघ्रता – ज़िंदगी में किसी के द्वारा भी किसी भी रूप में की गई सहायता, मदद या सेवा को भूला देना कृतघ्रता है। ऐसा स्वभाव न केवल आपको अप्रिय, अविश्वासी बनाता है, बल्कि उपेक्षा का कारण भी बनता है।

दीर्घद्वेषी – किसी के प्रति ईर्ष्या भाव से या जाने-अनजाने आपके साथ हुए गलत व्यवहार को याद रख मन में दुर्भाव या हानि पहुंचाने की भावना रखना ही दीर्घद्वेषी कहलाता है। यह भाव सबसे ज्यादा स्वयं के दु:ख का कारण बनता है।

अधर्मजन्य संतति – हर धर्म में वंश वृद्धि और धर्म पालन के नजरिए से संतान प्राप्ति हेतु स्त्री-पुरूष के रिश्तों की मर्यादा और गरिमा बताई गई है। किंतु उन सीमाओं से बाहर गलत संबंध बनाना या संतान प्राप्ति व्यक्तिगत जीवन को दागदार, अशांत और कलहपूर्ण बनाती है।

धर्म की नजर से इन पांच बातों से बचकर ही जीवन को दु:ख रूपी नरक से बचाकर सुख रूपी स्वर्ग को पा सकते हैं।