फर्रुखाबाद: शिक्षा का अधिकार अधिनियम की हो रही मनमानी में निजी विधालयो के साथ साथ बेसिक शिक्षा विभाग की भी मिली भगत होती है| जिसके चलते निजी विधालय अपनी मनमानी करने से बाज नही आते| आम आदमी को इसके प्रसार और प्रचार ना होनेसे जानकारी ही नही हो पाती जिसका निजी विधालय संचालक भरपूर फायदा उठाते है| और जमकर शिक्षा के नाम पर अबैध बसूली का धंधा गुलजार करते है| देखे शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत क्या नियम है——
1.6 से 14 साल के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी|
निजी स्कूलों को 6 से 14 साल तक के 25 प्रतिशत गरीब बच्चे मुफ्त पढ़ाने होंगे। इन बच्चों से फीस वसूलने पर दस गुना जुर्माना होगा। शर्त नहीं मानने पर मान्यता रद्द हो सकती है। मान्यता निरस्त होने पर स्कूल चलाया तो एक लाख और इसके बाद रोजाना 10 हजार जुर्माना लगाया जायेगा।
2.विकलांग बच्चों के लिए मुफ़्त शिक्षा के लिए उम्र बढ़ाकर 18 साल रखी गई है।
3.बच्चों को मुफ़्त शिक्षा मुहैया कराना राज्य और केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी होगी|
4.इस विधेयक में दस अहम लक्ष्यों को पूरा करने की बात कही गई है। इसमें मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने, शिक्षा मुहैया कराने का दायित्व राज्य सरकार पर होने, स्कूल पाठ्यक्रम देश के संविधान की दिशानिर्देशों के अनुरूप और सामाजिक ज़िम्मेदारी पर केंद्रित होने और एडमिशन प्रक्रिया में लालफ़ीताशाही कम करना शामिल है।
5.प्रवेश के समय कई स्कूल केपिटेशन फ़ीस की मांग करते हैं और बच्चों और माता-पिता को इंटरव्यू की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है। एडमिशन की इस प्रक्रिया को बदलने का वादा भी इस विधेयक में किया गया है। बच्चों की स्क्रीनिंग और अभिभावकों की परीक्षा लेने पर 25 हजार का जुर्माना। दोहराने पर जुर्माना 50 हजार।
6.शिक्षक ट्यूशन नहीं पढ़ाएंगे।