फर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा विभाग की तो बेशर्मी की हद ही हो गयी है| स्कूल से गायब शिक्षक की गाँव वाले जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से साल भर से शिकायत कर रहे थे मगर अधिकारी थे कि सब कुछ जानते हुए भी कारवाही नहीं कर रहे थे| नौनिहालों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ पर ध्यान देना तो दूर की बात, हाजिरी रजिस्टर पर बाकायदा हाजिरी चढ़ाकर नबम्बर 2010 तक का वेतन भी पा गया| जिलाधिकारी मिस्तनी एस ने गाँव भ्रमण के दौरान मामला पकड़ कर शिक्षक को बर्खास्त करने की कारवाही करने के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया|
मामला जनपद के राजेपुर ब्लाक के प्राइमरी पाठशाला रतनपुर पमारान का है जहाँ दो शिक्षक तैनात है| मगर ग्रामीणों के अनुसार उन्हें प्रधानाचार्य के अलावा सहायक शिक्षक शरद तिवारी कभी स्कूल में पढ़ाते नहीं दिखाई दिए| इस मामले की ग्रामीणों ने कई बार शिकायत फ़ोन द्वारा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी दी मगर उन्होंने कभी मामले को गंभीरता से नहीं लिया| इतना ही नहीं लखनऊ निवासी शरद तिवारी के गायब रहने की जानकारी सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी नागेन्द्र चौधरी को भी थी| सूत्रों के अनुसार गायब शिक्षक अधिकारिओ के लिए दुधारू गाय बन गए है| राजेपुर में एक दर्जन से ज्यादा शिक्षक इसी प्रकार विभाग को चूना लगा रहे है कुछ शिक्षिकाएं तो प्रसूति अवकाश के नाम पर ये कारनामा करती है| उनकी सर्विस बुक पर इस प्रकार की छुट्टी दर्ज न होना इस भ्रष्टाचार के मुख्य कारको में से एक है और कुछ सत्ता के बड़े नेताओ के रिश्तेदार होने का लाभ उठाते है|
बीएसए के सामने ही जनता ने खोली पोल-
बुधवार दोपहर बाद राजेपुर क्षेत्र में कई गाँव के ताबड़तोड़ दौरे से चापलूस टाइप अधिकारिओ की हवा निकल गयी| डीएम सीधे जनता से जुड़ना चाहती है और इसी के तहत रतनपुर पमारान स्कूल में जब मैडम मौजूद शिक्षक और बच्चो से रूबरू हुई तो गायब शिक्षक की पोल खुल गयी| मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने मैडम को बता दिया कि शिक्षक स्कूल नहीं आता| ये जानते ही डीएम ने तल्ख़ लहजे में गायब शिक्षक की बर्खास्तगी की कारवाही करने के लिए फरमान जारी कर दिया| ग्रामीणों ने बताया है कि मैडम से पहुचने से पहले बीएसए ने पहले ही स्कूल पहुच कर मामला साधना चाह था और कुछ रजिस्टर में हेर फेर करने का प्रयास भी किया था मगर बात बनते बनते रह गयी|
नवम्बर २०१० तक वेतन पा गया गायब शिक्षक शरद-
ग्रामीणों के अनुसार शरद तिवारी अपनी नियुक्ति से लेकर आज तक कभी नियमित स्कूल पढ़ाने नहीं आया| लेकिन उसे वेतन समय से मिलता रहा| आखिर उके वेतन बिल पर हस्ताक्षर करने वाले एबीएसए नागेन्द्र चौधरी और स्कूलों के निरिक्षण के लिए तैनात बीआरसी सहित अन्य समन्वयको की फ़ौज क्या करती रही|