नई दिल्ली:सरकार के लिए संसद में मुश्किल भरा दौर शुरू हो गया है। आज दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने असहिष्णुता पर बहस के लिए नोटिस दिया जिस पर बहस की शुरूआत हो गई। संसदीय कार्य मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि सरकार को रूल 193 के तहत इस मुद्दे पर बहस करना में कई आपति नहीं है।
बहस कराए जाने से पहले स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि मैं सभी पक्षों को कहती हूं कि जब कोई असहिष्णुता को लेकर कुछ कह रहा हो तो सहिष्णुता दिखाएं और सुने। वहीं गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं उस सदस्य को कहूंगा कि अगर उनकी दृष्टि से असहिष्णुता बढ़ रही है तो वो उसके लिए सुझाव भी दें।बहस के दौरान मो. सलीम ने कहा कि आरएसएस की बैठक में राजनाथ सिंह ने कहा था कि 800 साल की गुलामी के बाद हिंदू शासन लौटा है। लेकिन इस पर राजनाथ ने गहरा ऐतराज जताया और उनसे माफी की मांग की।
इसके बाद मोहम्मद सलीम ने असहिष्णुता के मुद्दे पर बहस शुरू की। सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि असहिष्णुता बढ़ रही है इसलिए ये शब्द कम हैं। मंत्री महोदय कह रहे हैं कि कृत्रिम असहमति है। ये आप किसका अपमान कर रहे हैं। एक के बाद एक लिस्ट लंबी हो रही है। दादरी का कांड हुआ, कलबुर्गी, दाभोलकर की हत्या हुई। जब दलित या मुस्लिम की बात होती है तो कुत्ते का पिल्ला कह दिया जाता है। हमें ऐसे मंत्री को भी सहन करना पड़ रहा है, ये सहनशीलता है।
बहस के दौरान मो. सलीम ने कहा कि खुद राजनाथ सिंह ने कहा था कि 800 साल की गुलामी के बाद हिंदू शासन लौटा है। लेकिन इस पर राजनाथ ने गहरा ऐतराज जताया। राजनाथ ने सीट से उठकर कहा कि मो. सलीम के आरोप बहुत गंभीर हैं। मैं चाहता हूं कि वो बताएं कि मैंने कब ऐसा बयान दिया नहीं तो उन्हें माफी मांगनी होगी। इसके बाद सत्तापक्ष की ओर से शोरगुल शुरू हो गया।
मो. सलीम ने आउटलुक मैगजीन का हवाला देते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो मैगजीन के रिपोर्टर के खिलाफ केस किया जाए। मैं तो सिर्फ उसे बता रहा हूं। मो. सलीम ने कहा कि आरएसएस की बैठक में गृहमंत्री ने कहा था कि पृथ्वीराज चौहान के बाद 800 साल बाद कोई हिंदू शासक आया है। राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि इस व्यक्तव्य को वापस लिया जाए ताकि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले। अभी उस टिप्पणी को वापस लिया जाए जब तक कि उस बयान की सत्यता की पुष्टि ना हो जाए। ऐसा ना होने पर हमारे लिए सदन में बैठे रहना मुश्किल होगा।
इसके बाद राजनाथ फिर सीट से उठे और कहा कि मैं मो. सलीम के बयान से बहुत आहत हूं। मैं हमेशा सोच-समझकर बोलता हूं। अगर देश का गृहमंत्री इस तरह का कोई बयान देता है तो उसे पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। इसके बाद सदन में हंगामा जारी रहा और आखिरकार स्पीकर ने मो. सलीम के राजनाथ सिंह पर दिए गए वक्तव्य को सदन की कार्यवाही से हटा दिया। स्पीकर ने इसके बाद सदन 2.05 बजे तक स्थगित कर दिया।
दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर सदन का वही नजारा था। मो. सलीम अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि मैं अपनी बात पर कायम हूं। और सत्तापक्ष का ये कहना कि बयान वापस नहीं लेने पर सदन नहीं चलने दिया जाएगा, ये भी एक प्रकार की असहिष्णुता है। इस पर तनातनी बरकरार देख स्पीकर ने ढाई बजे तक सदन स्थगित कर दिया।
ढाई बजे दोबारा कार्यवाही शुरू हुई। असहिष्णुता पर बहस-तकरार जारी रही। राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि हमने इस पर बहस के लिए विनम्रता से सब कुछ स्वीकार किया। यहां तक कि कांग्रेस नेता करुणाकरण ने बहस का मौका सीपीएम के मो. सलीम को दिया, तब भी हमने विरोध नहीं जताया। हम ये भी मान गए कि दूसरा स्पीकर कांग्रेस का होगा और बीजेपी का तीसरा। हमारी तरफ से कोई भी विवाद पैदा करने वाला व्यक्तव्य नहीं दिया गया। हम चाहते हैं कि मो. सलीम अपना व्यक्तव्य वापस ले लें, खुद गृह मंत्री ने कहा है कि अगर इसमें अंशमात्र भी सच्चाई होगी तो वह पद से इस्तीफा दे देंगे।
तब मो. सलीम ने कहा कि एक बात को घुमा फिराकर बार बार कहा जा रहा है। ये अनावश्यक है। वहीं कांग्रेस नेता वीरप्पा मोईली ने कहा कि राजनाथ यह कह सकते हैं कि मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है तो मामला खत्म हो जाएगा। वह सीपीएम सांसद से सफाई क्यों माग रहे हैं। लेकिन मामला शांत नहीं हुआ। बीजेपी की तरफ से सांसद मीनाक्षी लेखी और हुकुम सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए मो. सलीम से व्यक्तव्य वापस लेने की मांग की। मामला शांत न होता देख स्पीकर ने सदन 3.15 बजे तक स्थगित कर दिया।
दोबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद भी मो. सलीम अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि स्पीकर ने इसे हटाने का आदेश दे दिया है, मैंने जो कहा उस पर राजनाथ ने अपनी प्रतिक्रिया दे दी। लेकिन मैं अपने बयान से पीछे नहीं हटूंगा। इसके बाद स्पीकर ने कार्यवाही 4 बजे तक स्थगित कर दी।
कांग्रेस-सीपीएम ने दिया नोटिस
कांग्रेस और जेडीयू ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत इस पर चर्चा के लिए नोटिस दिया, जबकि लोकसभा में कांग्रेस और सीपीएम ने नियम 193 के तहत चर्चा कराने का नोटिस दिया। नियम 193 के तहत वोटिंग का नियम नहीं होता। जेडीयू उन पांच मंत्रियों को बर्खास्त करने की मांग कर रही है जिन पर विवादास्पद बयान देने का आरोप है। जेडीयू ने निंदा प्रस्ताव भी पास करने की मांग की है। सरकार की तरफ से गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस पर बयान देंगे।
वहीं समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा है कि असहिष्णुता के मुद्दे पर जितनी चर्चा हो रही है, उतना ही नुक्सान हो रहा है। इस मामले पर ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर चर्चा न हो। भारत से ज्यादा असहिष्णुता पूरी दुनिया में कहीं नहीं है।हालांकि केंद्र सरकार न तो निंदा प्रस्ताव के लिए तैयार है और न बैकफुट पर दिखना चाहती है। वैसे राज्यसभा में आज शुरुआत तो संविधान के लिए प्रतिबद्धता पर शुरू हुई बहस से ही होगी। इसके पूरा होने के बाद असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा होगी।