नई दिल्ली:प्रकृति हमारी पोषक और संरक्षक है। वह हमें हर घटनाक्रम के पूर्व संकेत भी देती है। पशु-पक्षियों में इसे समझने की क्षमता हमसे कहीं अधिक होती है। संसार में सभी एक-दूसरे से गहरा जुड़ाव रखते हैं। पूरक होते हैं। इसी कारण, चराचर की आकस्मिक गतिविधियों में हमारे लिए सदा संकेत छिपे होते हैं। बिल्ली से सामना होना भी उनमें से एक है। विशेषकर यात्रा के दौरान।
बिल्ली का रास्ता काटना भारतीय लोक जीवन में अशुभ माना जाता है। लोग बिल्ली के सामने से गुजर जाने पर ठहर जाते हैं। थोड़ा रुकते हैं या किसी अन्य के गुजर जाने का इंतज़ार करते हैं। तत्पश्चात आगे बढ़ते हैं। हम यहां स्पष्ट कर दें कि बिल्ली का रास्ता काटना एक सहज बात है। आखिर उन्हें भी तो उन रास्तों से गुजरना या पार करना होता है, जिनसे सब आते-जाते हैं।
अर्थात बिल्ली का रास्ता काटना या उसका मिलना एक सहज बात है, लेकिन सफ़र के दौरान बिल्ली ‘आई कांटैक्ट’ (बिल्ली और आपने एक दूसरे को देखा हो) के साथ रास्ता काट जाये या सामने आ जाये तो इसे प्रकृति का एक संकेत मानें। इस पर भी बिल्ली गहरी काली हो तो अवश्य सतर्क हो जाए।
कारण, बिल्ली की आंखों की चमक और रंग केतु गृह के रंग और उसकी चमक का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्योतिषियों द्वारा केतु की शांति और शुभता के लिए ‘कैट्स आई” स्टोन पहनने की सलाह भी दी जाती है। चूंकि केतु भी राहु की तरह एक छायाग्रह है। ज्योतिष में राहू को सिर और केतु को धड़ के रूप में माना जाता है। यानि, केतु गृह एक ऐसा सिर हीन धड़ है जो अंधा और अनियंत्रण में है। मस्तिष्क के संतुलित संकेत से वह वंचित है। साथ ही इसे दुष्ट गृह भी माना जाता है। ऐसे में यदि सफ़र में इस गृह का सशक्त संकेत मिले तो ठहर जाना और सतर्कता बरतना ही बेहतर है।इस पर भी यदि बिल्ली का रंग गहरा काला है तो अतिरिक्त सावधान हो जाएँ। क्योंकि श्याम शनि का रंग है। शनि को पल में व्यापक परिवर्तन कर देने के लिए जाना जाता है।
आई कांटैक्ट होने पर क्या करें
सफर में अचानक बिल्ली से आख मिलने पर संभव हो तो थोड़ा ठहर जाएं। वाहन किनारे कर लें। मनःस्थिति को संतुलित करने के लिए पानी पी लें या गहरी सांस के साथ अपने इष्ट देव को नमन करें। फिर आगे बढ़ें। अथवा, वाहन की गति धीमी कर लें और कुछ देर धीमे ही चलें। भयभीत न हों लेकिन सावधानी अवश्य बरतें। नियमों का पालन करें। अति उत्साह से बचें।